मंगलवार, 3 नवंबर 2020

हे गंगा माई हमार पाप काटा.../ अवधी लोकगीत / श्रीकान्त वैश्य

 https://youtu.be/9P8eKSbx2y8

संगीत और स्वर : श्रीकांत वैश्य
हे गंगा माई हमार पाप काटा
रोज रोज..
रोज रोज गीला गरीबी में आटा,
हे गंगाs...!
हे गंगा माई हमार पाप काटा-2
रोज रोज गीला गरीबी में आटा,
हे गंगाs...!
हे गंगा माई हमार पाप काटा-2

खेती कचहरी पढ़ाई की चिंता-2 बिटिया क गवना विदाई क़ चिंता-2 बनल रहे... बनल रहे माई हमार जोरू जाँता; हे गंगाs...! हे गंगा माई हमार पाप काटा-2

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें