https://youtu.be/bAq7xS3YJs4
श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन,
नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण,
आनन्द घन राधा वरम्॥
नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण,
आनन्द घन राधा वरम्॥
सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय,
मकर कुण्डल धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति,
पुष्पित निकुंजविहारिणम्॥
मुस्कान मुनि मन मोहिनी,
चितवन चपल वपु नटवरम्।
वन माल ललित कपोल मृदु,
अधरन मधुर मुरली धरम्॥
वृषुभान नंदिनी वामदिशि,
शोभित सुभग सिंहासनम्।
ललितादि सखि जिन सेवहीं,
करि चँवर छत्र उपासनम्॥
॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥
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