रविवार, 29 मई 2022

जनकसुता जगजननि जानकी.../ रचना : गोस्वामी तुलसीदास / स्वर एवं संगीत : रेनू भारद्वाज

 https://youtu.be/AjJDXxoAV8I 

गोस्वामी तुलसीदास श्रीरामचरितमानस (1-1-5) में निम्न श्लोक से सीताजी को नमन करते हैं-
उद्भव-स्थिति-संहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्।
सर्वश्रेयस्करीं सीता नतोऽहं रामवल्लभाम्॥
अर्थ - संसार की उत्पत्ति, पालन तथा संहार करने वाली, समस्त क्लेशों को हरने वाली, 
सब प्रकार से कल्याण करने वाली, श्रीरामचंद्र की प्रियतमा सीताजी को मैं नमस्कार करता हूं।
जनकसुता जगजननि जानकी
अतिशय प्रिय करुणा निधान की

सिय सोभा नहिं जाइ बखानी जगदम्बिका रूप गुण खानी

पिय हिय की सिय जाननिहारी लव कुश जननी जनक दुलारी

लोकप होहिं बिलोकत तोरे तोहि सेवहिं सब सिद्धि कर जोरे

ताके जुग पद कमल मनाऊं जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ

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