शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2022

मायेर पायेर जबा हये.../ बंगाली श्यामा संगीत / गीत रचना : द्विजेन चौधरी / 'वन्दे गुरु परम्पराम' की प्रस्तुति

 https://youtu.be/e1cxSZGI0qw

गीत रचना : द्विजेन चौधरी 
हिंदी भावानुवाद : अरुण मिश्र 

स्वर :रक्षिता रामजी,प्रकृति रघुनाथ,अव्यक्ता भट एवं श्रीरंजनी बालाजी
Shyama Sangeet is a genre of Bengali devotional songs dedicated to 
the Hindu goddess Shyama or Kali which is a form of supreme universal 
mother-goddess Durga or parvati. It is also known as Shaktagiti or 
Durgastuti.Shyama Sangeet appeals to the common man because it is a musical representation of the relationship of eternal and sublime love and 
care between the mother and her child. It is free of the common rituals 
of worship and also the esoteric practice of the Tantra.

मायेर पायेर जबा हये 
ओठ ना फुटे मन,

मेरी माँ के चरणों में जवाकुसुम (जवा पुष्प) बन कर
ओ मेरे मन खिल जाओ  


आमार मायेर पायेर जबा हये
ओठ ना फुटे मन,


तार गन्ध ना थाक या आछे से
नय रे भुयो आभरण
गन्ध ना थाक,
ओ तार गन्ध ना थाक या आछे से
नय रे भुयो आभरण

इसमें गन्ध भले न हो (पर) जो भी है 
वह नकली आभरण नहीं है 

मायेर पायेर जबा हये
ओठ ना फुटे मन,
आमार मायेर पायेर जबा हये
ओठ ना फुटे मन।


जानि जुँइ मालती हाय,
कतो गन्ध ये छड़ाय
तबु घरेर फेले परेर काछे
निजेरे बिलाय (x2)
ओरे तोर मतो ये नेइ को तादेर
माये पोये आलापन
तोर मतो ये,
ओ मन तोर मतो ये नेइ को तादेर
माये पोये आलापन

जानती हूँ कि, मैं जूही या मालती पुष्प नहीं हूँ 
जो प्रचुर सुगन्ध दे, स्वयं को विलीन कर,
अपना घर छोड़ कर दूसरों तक पहुँचे।
अरे सुनो (जवाकुसुम) ! तुम्हारे जैसा कोई अन्य नहीं है ,
तुम्हारे जैसा माँ-पुत्र सम्बन्ध और कहीं नहीं है। 


मायेर पायेर जबा हये
ओठ ना फुटे मन,
आमार मायेर पायेर जबा हये
ओठ ना फुटे मन।


आमार ताइ तो लागे भय,
प्रलोभनेर फाँदे पड़े हइ बुझि बा क्षय (x2)
ओरे येन भुलिसना, तोर दयामयी मा
तार रक्त माखा कालो रूपे
घोचाय कालिमा (x2)
ओ मन ताइ बलि आय ओइ राङ्गा पाय
करि आत्मसमर्पण
ताइ बलि आय,
ओ मन ताइ बलि आय ओइ राङ्गा पाय
करि आत्मसमर्पण

इसीलिए मुझे भय लगा रहता है कि,
प्रलोभनों के फंदों में पड़ कर कहीं नष्ट न हो जाऊँ। 
ओ ! मत भूलो कि, तुम्हारी माँ दयामयी है;
उसका रक्तरंजित काली रूप अन्धकार का विनाशक है। 
इसलिए ओ ! मन कहता हूँ कि उसके महावर रचे चरणों में 
आत्मसमर्पण कर दो 

मायेर पायेर जबा हये
ओठ ना फुटे मन,


तार गन्ध ना थाक या आछे से
नय रे भुयो आभरण
गन्ध ना थाक,
ओ तार गन्ध ना थाक या आछे से
नय रे भुयो आभरण
मायेर पायेर जबा हये
ओठ ना फुटे मन,
आमार मायेर पायेर जबा हये
ओठ ना फुटे मन।

गुरुवार, 27 अक्टूबर 2022

दीपांजलि / दीपावली पर विशेष / सूर्य गायत्री टीम की प्रस्तुति

 https://youtu.be/6GNEvNTiwYU  

संस्कृत मिश्रित मलयालम गीत 

गीत : दीपांजलि
गीत रचना : दिव्या अनिल कुमार
संगीत रचना : प्रशांत संकर
गायन : सूर्य गायत्री, ह्रदय गणेश, गौरी कृष्णा,
अनुग्रह वेणुगोपाल, गाथा विजयन

Sooryagayathri is a charming, young girl with a golden voice who is 
capturing the hearts of music lovers across the globe. The videos on 
several social media sites featuring Sooryagayathri in the ‘Vande Guru 
Paramparaam’- spiritual musical series, produced by ace Carnatic vocalist, 
Sri Kuldeep M Pai, have raving reception in nations far and wide. She is 
an abundantly blessed singer whose Bhava- filled, soulful singing has been 
compared to that of the doyen of music- M.S. Subbulakshmi herself.
Sooryagayathri hails from the village of Purameri in Vadakara, North Kerala.
She is formally trained in Carnatic music by Smt. Anandi and Sri Nishanth. 
Sri Kuldeep M Pai has been her mentor both musically and spiritually whose 
guidance has helped her navigate her role as an outstanding musician. 
Her father, Sri P.V. Anil kumar is an accomplished Mridangam artist in Kerala 
and her mother, Smt. P.K. Divya is a poetess with a natural flair.
Sooryagayathri got the achievement of M.S Subbulakshmi fellowship in music 
at a very tender age of 10 from Mumbai Shanmukhananda Sabha and 
Trivandram Kalanidhi Sangeeth Rathna award.  She has received Samaj 
Sakthi Award in 2017 with her Guru Kuldeep. M. Pai, from Hariharaputhra 
Bhajan Samaj Mumbai.  
Moreover she has her totalviewer ship of more than 150 million in YouTube
She is the main singer of the music series` Vande Guru Paramparam’ produced 
by Kuldeep. M. Pai. Doing her Bhajan concerts in all over in India and in 
abroad (South Africa, Singapore etc), She has won million hearts.

बुधवार, 26 अक्टूबर 2022

ऐजा मेरा दानपुरा.../ कुमाऊँनी गीत / गायन : प्रह्लाद मेहरा

 https://youtu.be/klIG3ZZUUl4

ऐजा मेरा दानपुरा.../ कुमाऊँनी गीत का भावार्थ 

गायक यह कह रहा है कि मेरा गांव दानपुर बहुत सुंदर है और वह लोगों को निमंत्रण दे रहा है,
अपने गांव आने का। उसके गांव में जो भी फल-फूल सुंदर जगह है उनका उल्लेख कर रहा है।
भगवान देवी देवताओं की आराधना से लेकर,, पूरे उत्तराखंड के जनमानस को निमंत्रण दे रहे हैं।
आओ .... दानपूरा ....। बागेश्वर।
कपकोट क्षेत्र के पूरे इलाके को दानपुर कहते हैं। प्रहलाद जी उस क्षेत्र की तारीफ करते हुए
कहते हैं कि शिखर मूल नारायण देवा, बदियाकोट में भगवती देवी का मंदिर है। स्थानीय देवों
का उल्लेख करते हैं और वहां के स्थानीय त्यौहारों को मनाने के लिए वहां आओ कहते हैं।
(वीडियो के कमेंट बॉक्स से संकलित एवं सम्पादित। लिरिक्स और अनुवाद मुझे उपलब्ध नहीं
हो पाए।)

बुधवार, 19 अक्टूबर 2022

तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए.../ शायर : असरार-उल-हक़ मजाज़ / गायन : जगजीत सिंह

https://youtu.be/50nfsGInoXo 

तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए

इस सई-ए-करम को क्या कहिए बहला भी गए तड़पा भी गए

हम अर्ज़-ए-वफ़ा भी कर सके कुछ कह सके कुछ सुन सके

याँ हम ने ज़बाँ ही खोली थी वाँ आँख झुकी शरमा भी गए

उस महफ़िल-ए-कैफ़-ओ-मस्ती में उस अंजुमन-ए-इरफ़ानी में

सब जाम-ब-कफ़ बैठे ही रहे हम पी भी गए छलका भी गए

वीडियो
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RECITATIONS

नोमान शौक़

नोमान शौक़

फ़हद हुसैन

फ़हद हुसैन

सोमवार, 17 अक्टूबर 2022

रघुवर तुमको मेरी लाज.../ रचना : गोस्वामी तुलसीदास / गायन : स्फूर्ति राव

 https://youtu.be/CXoUtCdyHAM  


रघुबर तुमको मेरी लाज...

सदा सदा मैं शरण तिहारी
तुम हो ग़रीब नेवाज
रघुबर तुम हो ग़रीब नेवाज
रघुबर तुमको मेरी लाज

पतित उधारन विरद तिहारो
श्रवनन सुनी आवाज
हूँ तो पतित पुरातन कहिये
पार उतारो जहाज रघुबर
पार उतारो जहाज
रघुबर ...

अघ खण्डन दुख भंजन जन के
यही तिहारो काज
रघुबर यही तिहारो काज

तुलसीदास पर किरपा कीजे
भक्ति दान देहु आज
रघुबर भक्ति दान देहु आज
रघुबर तुमको मेरी लाज ...

शनिवार, 15 अक्टूबर 2022

प्रातः वंदन / स्वागत ! स्वागत ! आ‌ओ प्यारे! / श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार

प्रातः वंदन

 स्वागत !  स्वागत ! आ‌ओ प्यारे! 
    दर्शन  दो    नयनोंके     तारे॥
बालककी मधुरी हाँसी में,
               मोहनकी मीठी बाँसीमें।
मित्रोंकी निःस्वार्थ प्रीतिमें,
            प्रेमीगणकी मिलन-रीतिमें।
नारीके कोमल अन्तरमें,  
                योगीके हृदयायन्तरमें।
वीरोंके रणभूमि-मरणमें,
               दीनोंके संताप-हरणमें।
कर्मठ के  कर्म - प्रवाहमें,
          साधकके सात्विक उछाहमें।
भक्तों के भगवान-शरणमें,
             ज्ञानवानके आत्म-रमणमें।
संतोंकी शुचि सरल भक्ति में,     
              अग्रिदेवकी दाह-शक्ति में।
गंगा की पुनीत धारामें,
              पृथ्वी-पवन, व्योम-तारामें।
भास्करके प्रखर प्रकाशमें,
             शशधरके शीतल विकासमें।
 कोकिलके कोमल सुस्वरमें,
              मत्त  मयूरी  केका - रवमें  ।
विकसित पुष्पोंकी कलियोंमें,
                 काले नखराले अलियोंमें।
सबमें तुम्हें देखते सारे,
                पर न पकड़ पाते मतवारे।
निज पहचान बतादो प्यारे,
            छिपना छोड़ो, जग उजियारे।
स्वागत ! स्वागत ! आ‌ओ  प्यारे!
           मेरे  जीवनके  ‘ध्रुवतारे’।
      (पदरत्नाकर / पद संख्या १०९७)