शनिवार, 1 अक्तूबर 2022

मो से बोल न बोल मेरी सुन या न सुन.../ कलाम : मौलाना 'मौज ' / गायन : सामी ब्रदर्स क़व्वाल

 https://youtu.be/SRbcveqWe-U

मो से बोल न बोल मेरी सुन या न सुन...
कलाम : हज़रत मौलाना मुग़ीसुद्दीन 'मौज ' चिश्ती गायन : सामी ब्रदर्स क़व्वाल
मो से बोल न बोल मेरी सुन या न सुन 
मैं तो तोहे न छाड़ूँगी ऐ साँवरे 

मोरी सास ननदिया फिरी सो फिरी 
मो से फिर क्यों न जाये सभी गाँव रे 

एक तू न फिरे मो से ऐ मेरे प्यारे 
मैं भी तो आई तोरी छाँव रे 

रही लाज-शरम की बात कहाँ 
जब प्रेम के फंदे दियो पाँव रे 

बगर के लोग-लुगाई हमको 
धरत नाम तो धरो नाम रे 

मैं तो अपनी 'मौज' से रहूँगी तोरे संग 
मैं तो याही न चूकूँ रहूँ थाम रे 

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