बुधवार, 12 अक्टूबर 2022

बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयां मुझे दे दो.../ नज़ीर अकबराबादी / उस्ताद ग़ुलाम अली

 https://youtu.be/UNc8tbr2VEc

बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयां मुझे दे दो
बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयां मुझे दे दो
तुम अपनी शाम की तन्हाईयाँ मुझे दे दो
बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयां मुझे दे दो
तुम अपनी शाम की तन्हाईयाँ मुझे दे दो
बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयां मुझे दे दो

ये लहर लहर बदन तूट ही न जाए कही
ये लहर लहर बदन तूट ही न जाए कही
ये लहर लहर बदन तूट ही न जाए कही
खुमार ए हुस्न की अंगड़ाइयाँ मुझे दे दो
बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयां मुझे दे दो

मैं तुमको याद करूँ और तुम चले आओ
मैं तुमको याद करूँ और तुम चले आओ
मैं तुमको याद करूँ और तुम चले आओ
मोहब्बतों की ये सचाइयां मुझे दे दो
बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयां मुझे दे दो

मैं डूब जाऊं तुम्हारी उदास आँखों में
मैं डूब जाऊं तुम्हारी उदास आँखों में
मैं डूब जाऊं तुम्हारी उदास आँखों में
तुम अपने दर्द की गहराइयाँ मुझे दे दो
बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयां मुझे दे दो
तुम अपनी शाम की तन्हाईयाँ मुझे दे दो
बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयां मुझे दे दो.

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