रविवार, 13 नवंबर 2022

हिरण्यमयीम् लक्ष्मीम् सदा भजामि.../ मुत्तुस्वामी दीक्षितर् कृति / गायन : स्फूर्ति राव

 https://youtu.be/6kchYFSW0Fw  

मुत्तुस्वामी दीक्षितर् या मुत्तुस्वामी दीक्षित (१७७५-१८३५) दक्षिण भारत के महान् 
कवि व रचनाकार थे। वे कर्नाटक संगीत के तीन प्रमुख व लोकप्रिय हस्तियों में से एक हैं। 
उन्होने 500 से अधिक संगीत रचनाएँ की। कर्नाटक संगीत की गोष्ठियों में उनकी रचनाऐं 
बहुतायत में गायी व बजायी जातीं हैं।

हिरण्यमयीम् लक्ष्मीम् सदा भजामि...
मुत्तुस्वामी दीक्षितार कृति 
गायन : स्फूर्ति राव

राग : ललिता 
ताल : रूपक 
भाषा : संस्कृत 

"मैं स्वर्ण वर्णी हिरण्यमयी लक्ष्मी को सदा भजता हूँ " - 
भगवती महालक्ष्मी की प्रशंशा में यह दिव्य स्तुति 
मुत्तुस्वामी दीक्षितार की कृति है जिसे एस. जयकुमार 
के संगीत निर्देशन में स्फूर्ति राव ने स्वर दिया है। 

पल्लवी 

हिरण्यमयीम् लक्ष्मीम् सदा भजामि 

हीन मानव आश्रयम्  त्यजामि 

 

अनुपल्लवी 

चिर तर सम्पदप्रदम् क्षीराम्बुधि तनयम् 

हरि वक्षस्थल आलयम् हरिणीं चरण किसलयम्  

कर कमल धृत कुवलयम् मरकत मणिमय वलयम् 

 

चरणम् 

श्वेतद्वीपवासिनीम् श्री कमलाम्बिकम् परं  

भूत-भाव्य विलासिनीम् भूसुर पूजितम् वरं 

मातरम् अब्जमालिनीं माणिक्यआभरणाधरं 

गीत-वाद्य विनोदिनीं गिरिजामथं इंदिराम् 

 

शीतकिरण निभ वदनं श्रित चिंतामणि सदनं 

पीतवसनं गुरुगुह माधुला कांतम् ललितां 

 

Meaning: (From T K Govinda Rao’s Book)


I always the praise of Lakshmi of golden hue (“hiranmayeem”) 

and renounce(“tyajaami”)  the company (“aasrayam”) of the rich 

and mean (“heena”) people (“maanava”).

 

She bestows (“pradaam”) imperishable (“chira tara”) prosperity 

(“sampath). She is the daughter (“tanayaam”) of the ocean 

(“ambudhi”) of milk (“ksheera”). Who sports (“aalayaam”) on the 

Chest (“vakshastala”) of HARI. She is pure, white hued -- HARINI. 

Whose feet (“charana”) are soft like tender leaves (“kisalayaam”); 

She holds in Her Lotus-Hand(“kara kamala”)  a lily of blue 

hue (“kuvalayaam”). She is adorned with emerald (“marakatha 

mani”) studded bangles (“valayaam”).

 

She resides (“vaasineem”)  in Sveta Dipa. She is Kamalaamba, 

who is the supreme spirit (“paraam”). She illuminates 

(“vilaasineem”) both the past (“bhoota”) and future (“bhavya”). 

She is the supreme mother, worshipped (“poojithaam”) by 

Bhusuras - righteous people. Adorned (“aabharana dharaam”) 

with a garland of lotus (“abja”)  and gem-studded ornaments 

(“manikya”). She delights (“vinodhineem”) in the music of songs 

and instruments. She is INDIRA, in the company (‘aamthaam”) 

of GIRIJA, the daughter of Himavan. Her face (“vadanaam”) 

resembles (“nibha”) the moon (“seetha kirana”). She is Chintamani, 

for those (“sritha”)  who take refuge in Her. She is adorned with 

yellow (“peetha”) silk (“vasanaam”). She is the captivator

(“kaanthaam”)  of Vishnu, uncle (“maadhula”) of guruguha and 

the elegant one.

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