https://youtu.be/3d3WurXT4YI?si=Pzr-0mllcFzPt9Tn
बादल देख डरी, हो श्याम मैं तो,
बादल देख डरी।।
काली-पीली घिरी बदरिया, बरसी एक घरी।
जित जाऊँ उत पानी-पानी, हुई-हुई भूमि हरी॥
जाको पिया परदेस बसत है, भीगूँ बाहर खड़ी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, कीजो प्रीत खरी॥
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