https://youtu.be/QUhyxQ5ij-c
बंदउँ चरण सरोज तुम्हारे...
-सन्त सूरदास
-सन्त सूरदास
बंदउँ चरन-सरोज तिहारे। सुंदर स्याम कमल-दल-लोचन, ललित त्रिभंगी प्रान-पियारे। जे पद-पदुम सदा शिव के धन, सिंधु-सुता उर तैं नहिं टारे। जे पद-पदुम तात-रिस-त्रासत, मन-बच-क्रम प्रहलाद सँभारे। जे पद-पदुम-परस-जल-पावन-सुरसरि-दरस कटत अघ भारे। जे पद-पदुम-परस-रिषि-पतिनी, बलि, नृग, व्याध पतित बहु तारे। जे पद-पदुम-रमत वृन्दावन अहि-सिर धरि, अगनित रिपु मारे। जे पद-पदुम परसि ब्रज-भामिनि सरबस दै, सुत-सदन विचारे। जे पद-पदुम रमत पांडव-दल दूत भए, सब काज सँवारे। सूरदास तेई पद-पंकज त्रिविध-ताप-दुख-हरन हमारे।।
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