रविवार, 13 जून 2021

कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत तेरी.../ दाग़ देहलवी (१८३१ -१९०५) / गायन : इजाज़ हुसैन हज़रावी (१९२९ - १९८९)

 https://youtu.be/Y_AZf7vpnxM  

दाग़ देहलवी (१८३१ -१९०५), दिल्ली, भारत 
उर्दू के सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल। शायरी में चुस्ती , शोख़ी और मुहावरों के 
इस्तेमाल के लिए प्रसिद्ध। 
नवाब मिर्जा खाँ 'दाग़', उर्दू के प्रसिद्ध कवि थे। इनका जन्म सन् 1831 में दिल्ली में हुआ। 
इनके पिता शम्सुद्दीन खाँ नवाब लोहारू के भाई थे। जब दाग़ पाँच-छह वर्ष के थे तभी इनके 
पिता मर गए। इनकी माता ने बहादुर शाह "ज़फर" के पुत्र मिर्जा फखरू से विवाह कर लिया, 
तब यह भी दिल्ली में लाल किले में रहने लगे। यहाँ दाग़ को हर प्रकार की अच्छी शिक्षा मिली। 
यहाँ ये कविता करने लगे और जौक़ को गुरु बनाया। सन् 1856 में मिर्जा फखरू की मृत्यु हो 
गई और दूसरे ही वर्ष बलवा आरंभ हो गया, जिससे यह रामपुर चले गए। वहाँ युवराज 
नवाब कल्ब अली खाँ के आश्रय में रहने लगे। सन् 1887 ई. में नवाब की मृत्यु हो जाने पर 
ये रामपुर से दिल्ली चले आए। घूमते हुए दूसरे वर्ष हैदराबाद पहुँचे। पुन: निमंत्रित हो 
सन् 1890 ई. में दाग़ हैदराबाद गए और निज़ाम के कविता गुरु नियत हो गए। इन्हें यहाँ धन 
तथा सम्मान दोनों मिला और यहीं सन् 1905 ई. में फालिज से इनकी मृत्यु हुई। दाग़ शीलवान, 
विनम्र, विनोदी तथा स्पष्टवादी थे और सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करते थे।
गुलजारे-दाग़, आफ्ताबे-दाग़, माहताबे-दाग़ तथा यादगारे-दाग़ इनके चार दीवान हैं, जो सभी 
प्रकाशित हो चुके हैं। 'फरियादे-दाग़', इनकी एक मसनवी (खंडकाव्य) है। इनकी शैली सरलता 
और सुगमता के कारण विशेष लोकप्रिय हुई। भाषा की स्वच्छता तथा प्रसाद गुण होने से इनकी 
कविता अधिक प्रचलित हुई पर इसका एक कारण यह भी है कि इनकी कविता कुछ सुरुचिपूर्ण भी है।

कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत तेरी    
लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत तेरी 

पूंछते हैं वो मेरी बात तो यूँ पूंछते हैं 
कहते हैं कौन है तू, क्या है हक़ीक़त तेरी 

याद सब कुछ हैं मुझे हिज्र के सदमे ज़ालिम 
भूल जाता हूँ मगर देख के सूरत तेरी 

यार ग़मख़्वार मेरे हाल को सब पूछते हैं 
और फिर पूछ के सब कहते हैं क़िस्मत तेरी 

Ijaz Hussain Hazravi (1929 - 1989)Rawalpindi, Pakistan. 
is ghazal singer from Pakistan. He was the disciple of the revered 
Ustad Bade Ghulam Ali Khan. His ghazals were based on thumri 
interspersed with sargam.

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