शुक्रवार, 19 मई 2023

श्री नन्दकुनाराष्टकम् / सुन्दरगोपालम् उरवनमालं.../ श्री वल्लभाचार्य विरचित

 https://youtu.be/LajW3EOVRRg

श्री नन्दकुनाराष्टकम् भगवान श्री कृष्ण जी को समर्पित हैं !
श्री नन्दकुमाराष्टकम् का पाठ विशेष रूप से श्री कृष्ण जन्माष्टमी या
भगवान श्री कृष्ण जी से संबंधित अन्य कई त्योहारों पर किया जाता है ।
सुख शांति और खुशहाली के लिए अपने घर मे श्री नंदकुमार अष्टकम्
का पाठ करे या सुनते रहे और श्री नन्दकुमाराष्टकम् का नियमित रूप
से पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण जी को आसानी से प्रसन्न किया जा
सकता है । श्री नन्दकुमाराष्टकम् के रचियत्ता श्री वल्लभाचार्य जी हैं।

सुन्दरगोपालम् उरवनमालं नयनविशालं दुःखहरम् । वृन्दावनचन्द्रमानन्दकन्दं परमानन्दं धरणिधरम् ॥ वल्लभघनश्यामं पूर्णकामम् अत्यभिरामं प्रीतिकरम् । भज नन्दकुमारं सर्वसुखसरं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥१

सुन्दरगोपाल अर्थात गौओ के पालन करने वाले ,गले मे वनमाला धारण करने वाले,
विशाल नेत्र वाले,दुख का हरण करने वाले, वृन्दावन के चन्द्र स्वरूप, आनन्द समूह
रूप, उत्कृष्ट आनंद वाले, धरा को धारण करने वाले, मेघ के समान श्याम काँति वाले,
पूरणमनोरथ वाले,अत्यन्त आह्लादक प्रीतिकारक सभी सुखो के सारूप तत्व द्वारा
विचारित, परब्रह्मानंद कुमार श्रीकृष्णचन्द्र की भक्ति करो ॥१

सुन्दरवारिजवदनं निर्जितमदनम् आनन्दसदनं मुकुटधरम् । गुञ्जाकृतिहारं विपिनविहारं परमोदारं चीरहरम् ॥ वल्लभपटपीतं कृतउपवीतं करनवनीतं विबुधवरं । भज नन्दकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥२॥

सुन्दर कमल के समान जिन का श्रीमुख है,कामको विजय करने वाले,आनंद के
यथास्वरूप,मुकुट धारण करने वाले, गुँजा की माला को धारण करने वाले वृन्दावन
बिहारी, परम उदार,पीताम्बर प्रिय, उपवीताधारी,श्री हस्त मे नवनीत धारण करने
वाले,देवो मे उतम ,सर्व सुखो के सास्वरूप ,तत्वद्वारा विचारित परब्रह्म नंदकुमार
श्रीकृष्ण चन्द्र की भक्ति करो ॥२॥

शोभितमुखमूलं यमुनाकूलं निपट_अतूलं सुखदतरम् । मुखमण्डितरेणुं चारितधेनुं वादितवेणुं मधुरसुरम् ॥ वल्लभमतिविमलं शुभपदकमलं नखरुचिअमलं तिमिरहरं । भज नन्दकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥३॥

सुशोभित सुखों के मूलरूप,यमुना तट स्थित, अनुपमेय स्वभाव वाले,सुखदाताओ मे
श्रेष्ठ, जिनके मुखारविन्द गोधूलि से चेष्टित है,गायों को चराने वाले नखों की निर्मल
कांति वाले,अँधकार को भगाने वाले, सर्व सुखो के सार रूप, तत्व द्वारा विचारित,
परब्रह्म नंदकुमार श्रीकृष्णचन्द्र की भक्ति करो ॥३॥

शिरमुकुटसुदेशं कुञ्चितकेशं नटवरवेशं कामवरम् । मायाकृतमनुजं हलधर_अनुजं प्रतिहतदनुजं भारहरम् ॥ वल्लभव्रजपालं सुभगसुचालं हितमनुकालं भाववरं । भज नन्दकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥४॥

सिर पर जिन के मुकुट सुशोभित है, कुचिंत केश वाले, नटवर वेषधारी, कोटि कँदर्प-
लावण्य, निजमाया शक्ति द्वारा मनुजाकृति दर्शन वाले, श्री बलदेवजी के अनुज,दानवों
के संहारक, पृथ्वी के भार को उतारने वाले, नन्दरायजी जिन्हें प्रिय हैं, सुभगसुन्दर
गतिवाले प्रतिक्षण हितकर्ता, भाविको मे श्रेष्ठ सर्वसुखो के साररूप तत्वद्वारा विचारित
परब्रह्म नन्दकुमार श्रीकृष्णचन्द्र की भक्ति करो  ॥४॥

इन्दीवरभासं प्रकटसुरासं कुसुमविकासं वंशिधरम् । हृतमन्मथमानं रूपनिधानं कृतकलगानं चित्तहरम् ॥ वल्लभमृदुहासं कुञ्जनिवासं विविधविलासं केलिकरं । भज नन्दकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥५॥

कमल सदृश द्युतिवाले, प्रकट सुन्दर रासक्रीड़ा करने वाले, जिन के दर्शन कर पुष्प
प्रफुल्लित होते है, वंशीधर, महादेव के मान को नाश करने वाले, रूपनिधान, कलि में
जिन का नाम सँकीर्तन किया जाता है, चित का हरण करने वाले, प्रिय कोमल हास्ययुक्त,
कुंज में निवास करने वाले, विविध विलासकर्ता, क्रीड़ाकारी, सर्वसुखो के साररूप तत्व
द्वारा विचारित पर ब्रह्म नन्दकुमार श्रीकृष्णचन्द्र की भक्ति करो ॥५॥

अतिपरप्रवीणं पालितदीनं भक्ताधीनं कर्मकरम् । मोहनमतिधीरं फणिबलवीरं हतपरवीरं तरलतरम् ॥ वल्लभव्रजरमणं वारिजवदनं हलधरशमनं शैलधरं । भज नन्दकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥६॥

अति परम प्रवीण, दीनता वाले जीवो के पालनकर्त्ता मायाधीन, गोवर्धन पूजारूपी यज्ञकर्ता,
भक्तों को मोह कराने वाले, अतिधीर, बलवान कलि के निवारण करने वाले, शत्रुवीरो के
सँहारकर्ता, अतिचपल, व्रजरमण जिन्हें प्रिय है, कमल से मुख वाले, मेघ को शाँत करने वाले,
गिरिराज को धारण करने वाले, सब सुख के साररूप तत्व द्वारा विचारित परब्रह्म नन्दकुमार
श्रीकृष्णचन्द्र की भक्ति करो ॥६॥

जलधरद्युतिअङ्गं ललितत्रिभङ्गं बहुकृतरङ्गं रसिकवरम् । गोकुलपरिवारं मदनाकारं कुञ्जविहारं गूढतरम् ॥ वल्लभव्रजचन्द्रं सुभगसुछन्दं कृतआनन्दं भ्रान्तिहरं । भज नन्दकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥७॥

मेघ की कांति के समान शरीर धारण करने वाले, ललित त्रिभंगी, विविध स्वरूप रँग
से विदित होने वाले, रसिक शिरोमणि, गोसमूह जिनका परिवार है, कामदेव के समान
आकार वाले, कुँजबिहारी, गूढ़ मनुष्याकृति, प्रिय व्रज चन्द्र, सुन्दर भाग्य एव दिव्य लीलामय,
परमानंद स्वरूप,भ्रांति हरण करने वाले, सर्वसुख के साररूप तत्व द्वारा विचारित परब्रह्म
नंद कुमार, श्रीकृष्णचन्द्र की भक्ति करो ॥७॥

वन्दितयुगचरणं पावनकरणं जगदुद्धरणं विमलधरम् । कालियशिरगमनं कृतफणिनमनं घातितयमनं मृदुलतरम् ॥ वल्लभदुःखहरणं निर्मलचरणम् अशरणशरणं मुक्तिकरं । भज नन्दकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥८॥

जिनके चरण सुशोभित हैं, जिनके पैरों का जोड़ा सब कुछ पवित्र करता है और
दुनिया का उत्थान करता है। जब आपका चरण सर्प के सिर के ऊपर से घूमा तो
भयंकर कालिया ने अपना सिर झुकाया और नृत्य किया। आपने अपने कोमल और
कोमल शरीर के साथ घातक बंधन को नष्ट कर दिया। जो भक्तों का प्रिय है और
उनके दुखों को हर लेता है और उनके पवित्र चरण उन लोगों को शरण देते हैं जो
अंततः उन्हें मुक्ति देते हैं; पूजा शरण है, सर्वसुख के साररूप तत्व द्वारा विचारित
परब्रह्म नंद कुमार श्रीकृष्णचन्द्र की भक्ति करो ॥८॥

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