मंगलवार, 16 मई 2023

डुग्गू-सम्यक / हैप्पी बर्थ-डे टु सम्यक ! / कविता / अरुण मिश्र




















डुग्गू-सम्यक

जन्म दिवस है डुग्गू जी का 
हुए साल भर के ये आज। 
चहल-पहल है, शोर-शराबा, 
सजे-धजे डुग्गू महराज।। 

एक साल तक कूदे-मचले 
तब जाकर इनके पर निकले 
कहते बात-बात पर अग्गुं 
इसीलिए कहलाते डुग्गू।।

अब, धीरे-धीरे बड़े हो रहे। 
कभी-कभी हैं खड़े हो रहे। 
इनको नयी उड़ान मिली है। 
एक नयी पहचान मिली है।। 

डुग्गू की हर बात है सम्यक।
डुग्गू के दिन-रात हैं सम्यक।  
खिल-खिल सम्यक, गिल-गिल सम्यक 
दाँत दूध का, झिल-मिल सम्यक।।

सम्यक हँसना, सम्यक रोना। 
सम्यक काजल और डिठौना। 
सम्यक इनकी हर शैतानी ;
सब पर करते जादू-टोना।।

बिना बात के हँस देते हैं 
बिना बात के रो लेते हैं  
पुचकारो, चुप हो जाते हैं 
दुद्धू पी कर सो जाते हैं।। 

यही हैं डुग्गू , यही हैं सम्यक।
जो हैं डुग्गू , वही हैं सम्यक ।।
नया नाम है, नयी शान है ।  
गंगाधर ही, शक्तिमान है ।। 

सम्यक डुग्गू , डुग्गू सम्यक। 
डुग्गू-डुग्गू , सम्यक सम्यक। 
सब मिल बोलो, सम्यक-सम्यक। 
सम्यक-सम्यक, सम्यक-सम्यक।।

हैप्पी बर्थडे टु सम्यक ! 

(टिप्पणी : मेरी बेटी के छोटे बेटे आज साल भर के पूरे हुए। 
अभी तक इन्हें प्यार से डुग्गू कहा जाता है। आज से इन्हें 
नया नाम , 'सम्यक' मिला है। इस अवसर पर भेंट स्वरुप 
यह कविता , मेरी तरफ से प्यार व आशीर्वाद के साथ। 
-अरुण मिश्र )

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