रविवार, 17 सितंबर 2023

क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा ? / गीत एवं स्वर : विनोद दुबे

https://youtu.be/1wK-88IVKEM? si=zG9u2BMqKhKPAxxJ

क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा ?

क्या  ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा?
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा, ओ बंधु !
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा?
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा, ओ बंधु !

क्षण भंगुर काया, तू कहाँ से लाया?
गुरुवन समझाया, पर समझ ना पाया
ये साँस निगोड़ी, चलती रुक थोड़ी
चल-चल रुक जावे, क्या खोया, पाया?
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा?
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा, ओ बंधु !
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा?
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा, ओ बंधु !

ओ मन सुन जोगी बात, यहाँ माया करती घात
आतम भीतर समझात, मूरख ना समझे बात
है ईश्वर तेरे साथ, काहे मन मा घबरात
हो राम सुमिर दिन-रात, कष्ट समय कट जात
हो सब यही छोड़ जाएगा, छोड़ जाएगा
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा?
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा, ओ बंधु
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा?
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा, ओ बंधु !

क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा?
क्या ले के आयो जग में, क्या ले के जायेगा, ओ बंधु !

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