रविवार, 29 सितंबर 2024

हो म्हारो..जलालो बिलालो.../ राजस्थानी लोकगीत / स्वर : आदित्य गढवी

https://youtu.be/4YZjkaACB3o  

हो म्हारो..जलालो बिलालो
म्हारो, मारू मतवाळो
म्हारो..जलालो बिलालो
म्हारो, मारू मतवाळो

म्हारो केसरियो बलम, घर आवसी
हो म्हारो केसरियो बलम
घर आवसी..रे~ बैरण रे..

हो म्हारो..जलालो बिलालो
म्हारो, मारू मतवाळो
म्हारो केसरियो बलम
घर आवसी..रे~ बैरण रे..
बादीला ढोला रे..

मैं तो..डागलिये रे, चढ़ जाऊँ
बादीला ढोला रे..ओ~~
मैं तो..डागलिये रे, चढ़ जाऊँ
मैं डागलिये चढ़ जाऊँ~
मैं डागलिये चढ़ जाऊँ
धण री, बाटड़ी..में~ बैरण रे..

म्हारो..जलालो बिलालो
म्हारो, मारू मतवाळो
म्हारो केसरियो बलम
घर आवसी..रे~ बैरण रे..
बादीला ढोला रे..

मैं तो..कोयलड़ी रे, बण जाऊँ
बादीला ढोला रे..ओ~~

मैं तो..कोयलड़ी रे, बण जाऊँ
मैं कोयलड़ी, बण जाऊँ

मैं बागां में, रम जाऊँ
मैं कोयलड़ी, बण जाऊँ
धण रे, सामने, रे~ बैरण रे..

म्हारो, मारू मतवाळो
हो म्हारो..जलालो बिलालो
म्हारो, मारू मतवाळो
म्हारो केसरियो बलम
घर आवसी..रे~ बैरण रे..

हो म्हारो केसरियो बलम
घर आवसी..रे~ बैरण रे..




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