रविवार, 15 सितंबर 2024

अपनी ज़ुल्फें मेरे शानों पे बिखर जाने दो.../ शायर : नक्श ल्यालपुरी / गायन : वन्दना श्रीनिवासन

https://youtu.be/qbTnHtRgyak 


अपनी ज़ुल्फें मेरे शानों पे बिखर जाने दो    
आज रोको ना मुझे, हद से गुज़र जाने दो
अपनी ज़ुल्फें मेरे शानों पे...

तुम जो आये तो बहारों पे शबाब आया है
इन नज़ारों पे भी हल्का सा नशा छाया है
अपनी आँखों का नशा और भी बढ़ जाने दो
अपनी ज़ुल्फें मेरे शानों पे...

सुर्ख होठों पे गुलाबों का गुमाँ होता है
ऐसा मंज़र हो जहाँ, होश कहाँ रहता है
ये हसीं होंठ मेरे होठों से मिल जाने दो
अपनी ज़ुल्फें मेरे शानों पे...

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