गुरुवार, 19 सितंबर 2024

परुलि तेरे प्यार मेँ, रड़ गये हम कच्यार में.../ कुमाऊँनी शायरी / फेसबुक से साभार

डांसी ढुंग में घुरी गया मैं, चौकोड़ी के गध्यार में।
परुलि तेरे प्यार मेँ, रड़ गये हम कच्यार में।।
दिल मैं अपना हार गया, परुलि तुझसे प्यार हुआ ।
तू भी अपना घर बना ले दिल के मेरे उड्यार मेँ ।
परुलि तेरे प्यार मेँ रड़ गये हम कच्यार मेँ ।।
तुझे देखकर अलजि गया, भली कै मैं पगलि गया।
तेरा रस्ता देख रहा हूँ बांजांणि के धार मेँ ।
परुलि तेरे प्यार मेँ रड़ गये हम कच्यार मेँ ।।
तेरे घर मेँ आया था, चांण पकौड़ी लाया था।
तेरे बोज्यू ने जांठ दिखाई, छिपना पड़ा भकार मेँ।।
परुलि तेरे प्यार मेँ रड़ गये हम कच्यार मेँ।।


डांसी ढुंग में घुरी गया- कठोर पत्थर में गिर गया
चौकोड़ी के गध्यार  - चौकौड़ी के गधेरे
रड़ गये  - फिसल गये
कच्यार  - कीचड़
उड्यार  - गुफा
अलजि गया  - उलझ गया
बांजांणि के धार  - बांझ के जंगल के टाप (ridge) पर
चांण पकौड़ी  - चने की पकौड़ी
जांठ - डंडा
भकार  - अनाज रखने की कोठरी

(शब्दार्थ, श्री विनोद चंद्र पंत जी के सौजन्य से )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें