https://youtu.be/iIpiJP_LgjE
ये जो ज़हर है तिरे क़ुर्ब का मिरे रोम रोम उतार दे
मिरी दास्तान हो मो'तबर मुझे अपने इश्क़ में मार दे
कभी अपने जिस्म को मय बना मुझे क़तरा क़तरा पिलाए जा
मिरी आँख रोज़-ए-जज़ा खुले कोई इस तरह का ख़ुमार दे
तिरी निस्बतों से जुड़ा रहूँ तिरे रास्तों में पड़ा रहूँ
कोई ऐसी हसरत-ए-बे-बहा मिरी धड़कनों से गुज़ार दे
मिरे दोस्ता मिरे किब्रिया मिरी लग़्ज़िशों से हो दरगुज़र
मिरी पस्तियों को उरूज दे मिरे उजड़े दिल को सँवार दे
मिरी आरज़ुओं के सीप का किसी आब-ए-नैसाँ से मेल कर
मुझे आश्ना-ए-विसाल कर मिरी बेकली को क़रार दे
यही अपने शौक़ से कह दिया कभी एक पल नहीं सोचना
जहाँ नक़्श-ए-पा मिले यार का ये मता-ए-जाँ वहीं वार दे
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