ग़ज़ल
ये घडी ग़र निकल जायेगी.......
-अरुण मिश्र.
ये घडी ग़र, निकल जायेगी।
रात ऐसी, न कल आयेगी।।
यूँ जो, बाँहों में हो ज़िन्दगी।
मौत, शरमा के टल जायेगी।।
उसके आने की, आई ख़बर।
अब तबीयत, सँभल जायेगी।।
देर बस, उसके आने की है।
मेरी दुनिया, बदल जायेगी।।
कब था सोचा'अरुन',चाँदनी।
मेरे शीशे में, ढल जायेगी।।
*
ये घडी ग़र निकल जायेगी.......
-अरुण मिश्र.
ये घडी ग़र, निकल जायेगी।
रात ऐसी, न कल आयेगी।।
यूँ जो, बाँहों में हो ज़िन्दगी।
मौत, शरमा के टल जायेगी।।
उसके आने की, आई ख़बर।
अब तबीयत, सँभल जायेगी।।
देर बस, उसके आने की है।
मेरी दुनिया, बदल जायेगी।।
कब था सोचा'अरुन',चाँदनी।
मेरे शीशे में, ढल जायेगी।।
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