रक्षा-सूत्र
-अरुण मिश्र
बहन, मेरी कलाई पर,
जो तुमने तार बॉधा है।
तो, इसके साथ स्मृतियों-
का, इक संसार बॉधा है।।
ये धागे सूत के कच्चे।
ये कोमल, रेशमी लच्छे।
दिलाते याद उस घर की,
रहे जिस घर के हम बच्चे।।
इसे बॉधा, तो तुमने,
फिर वही परिवार, बॉधा है।।
बड़ी हो तो, असीसें औ’
दुआयें, बॉधी हैं इसमें।
जो छोटी हो तो, मंगल-
कामनायें बॉधी हैं इसमें ।।
सहज विश्वाश बॉधा है।
परस्पर प्यार बॉधा है।।
सुरक्षित हों सदा भाई।
सदा रक्षित रहे बहना।
ये रक्षा-सूत्र है, इस देश
के, संस्कार का गहना।।
महत् इस पर्व पर, तुमने
अतुल उपहार, बॉधा है।।
(पूर्वप्रकाशित )
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