शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या: / "पञ्च तत्व" / 'अन्ना' की नृत्य प्रस्तुति

https://youtu.be/NBDLE1oEc3Y
"पञ्च तत्व" / 'अन्ना' की नृत्य प्रस्तुति  

(केरल के माज़ःविल मनोरमा टी. वी. चैनल के सौजन्य से) 


यत् ते मध्यम पृथिवि यच्च नभ्यं, 
यास्ते ऊर्जस्तन्व: संबभूवु:, 
तासु नो धे”यभि न: पवस्व, 
माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:, 
पर्जन्य: पिता स उ न: पिपर्तु”,

                   -अथर्ववेद का मन्त्र १२.१.१२

अर्थात “हे पृथ्वी, यह जो तुम्हारा मध्यभाग है और 
जो उभरा हुआ ऊधर्वभाग है, ये जो तुम्हारे शरीर 
के विभिन्न अंग ऊर्जा से भरे हैं, हे पृथ्वी मां, तुम 
मुझे अपने उसी शरीर में संजो लो और दुलारो कि, 
मैं तो तुम्हारे पुत्र के जैसा हूं, तुम मेरी मां हो और 
पर्जन्य का हम पर पिता के जैसा साया बना रहे” 

वैदिक ऋषि ने पृथ्वी से जिस प्रकार का रक्त-सम्बन्ध 
स्थापित किया है, वह इतना विलक्षण और आकर्षक 
है कि, दैहिक माता-पिता से किसी भी प्रकार कम नहीं !

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