रविवार, 10 नवंबर 2019

ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से... / बेक़ल उत्साही / अहमद हुसैन, मुहम्मद हुसैन

https://youtu.be/HulSu-MmGf0

राग - मेघ मल्हार 

ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से
देखो बादल कहाँ आज बरसे।
फिर हुईं धड़कनें तेज़ दिल की
फिर वो गुज़रे हैं शायद इधर से।
मैं हर एक हाल में आपका हूँ
आप देखें मुझे जिस नज़र से।
ज़िन्दग़ी वो सम्भल ना सकेगी
गिर गई जो तुम्हारी नज़र से।
बिजलियों की तवाजो' में ‘बेकल’
आशियाना बनाओ शहर से।
(तवाजो' - आवभगत)

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