https://youtu.be/bBexqdHB8NQ
लोकगायिका संजोली पाण्डेय जन्म- अयोध्या ,उत्तर प्रदेश ,1995 अध्यक्ष ~ धरोहर -लोककलाओं का संगम (NGO) लोकगीतों और लोकविधाओं की संरक्षिकालखनऊ की संजोली पांडेय मैनावती देवी राष्ट्रीय लोकगायिका सम्मान 2021 से सम्मानित हैं। सांसद एवं फिल्म अभिनेता रवि किशन शुक्ल की मौजूदगी में सर्वभाषा ट्रस्ट दिल्ली द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में इस पुरस्कार की घोषणा की गई थी।
फैजाबाद के मया ब्लॉक के ग्राम रामापुर की बेटी संजोली पांडेय राष्ट्रीय क्षितिज पर बतौर लोकगायिका दस्तक देकर फैजाबाद के लिए गर्व का क्षण मुहैया करा रही है। उनके पिता अरविंद पांडेय लखनऊ हाईकोर्ट में वकील हैं। मां शीला पांडेय कुशल गृहिणी हैं। संजोली ने अवधी व भोजपुरी गायिका के रूप में अपनी पहचान कायम रखी है। अपनी सुरीली आवाज से लोकगीतों को बढ़ावा देने के कारण तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह व तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक सम्मानित कर चुके हैं।
बकौल संजोली, बचपन से ही उसे गाने का शौक था। प्राथमिक व हाईस्कूल की शिक्षा गोसाईंगंज से ग्रहण करने के उपरांत परिवारीजनों ने उसके गायन की रुचि देखते हुए लखनऊ भेजा। भातखंडे विश्वविद्यालय से संगीत की शिक्षा ग्रहण की। उसने टीवी शो में बाल कलाकार के रूप में प्रतिभाग कर लोकगायन के सफर की शुरुआत की। संजोली का मानना है कि लोकगायन में भारतीय गांवों व उसकी संस्कृति की झलक मिलती है। इसलिए लोकगीतों को हमें जीवंत बनाये रखना होगा। समाज में फैली कुरीतियों जैसे भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, बेटियों की शिक्षा व किसानों की दशा पर उसे गीत गाना पंसद है। कजरी, सोहर व छठ गीत व बसंत ऋतु पर भी गाना गाने का शौक है। इसके अतिरिक्त प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों व पर्यटन स्थलों पर गाए गए गीत सराहे जा रहे हैं।
फैजाबाद के मया ब्लॉक के ग्राम रामापुर की बेटी संजोली पांडेय राष्ट्रीय क्षितिज पर बतौर लोकगायिका दस्तक देकर फैजाबाद के लिए गर्व का क्षण मुहैया करा रही है। उनके पिता अरविंद पांडेय लखनऊ हाईकोर्ट में वकील हैं। मां शीला पांडेय कुशल गृहिणी हैं। संजोली ने अवधी व भोजपुरी गायिका के रूप में अपनी पहचान कायम रखी है। अपनी सुरीली आवाज से लोकगीतों को बढ़ावा देने के कारण तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह व तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक सम्मानित कर चुके हैं।
बकौल संजोली, बचपन से ही उसे गाने का शौक था। प्राथमिक व हाईस्कूल की शिक्षा गोसाईंगंज से ग्रहण करने के उपरांत परिवारीजनों ने उसके गायन की रुचि देखते हुए लखनऊ भेजा। भातखंडे विश्वविद्यालय से संगीत की शिक्षा ग्रहण की। उसने टीवी शो में बाल कलाकार के रूप में प्रतिभाग कर लोकगायन के सफर की शुरुआत की। संजोली का मानना है कि लोकगायन में भारतीय गांवों व उसकी संस्कृति की झलक मिलती है। इसलिए लोकगीतों को हमें जीवंत बनाये रखना होगा। समाज में फैली कुरीतियों जैसे भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, बेटियों की शिक्षा व किसानों की दशा पर उसे गीत गाना पंसद है। कजरी, सोहर व छठ गीत व बसंत ऋतु पर भी गाना गाने का शौक है। इसके अतिरिक्त प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों व पर्यटन स्थलों पर गाए गए गीत सराहे जा रहे हैं।
पिया करबय मुकदमा...
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