https://youtu.be/ClwbhSX-JnQ
चल मन तुम काशी...
स्वाति तिरुनाल भजन
राग : सिन्धु भैरवी
ताल :रूपक
महाराजा स्वाति तिरुनाल (१८१३-१८४६)
श्री स्वाति तिरुनाल बालराम वर्मा (16 अप्रैल, 1813 – 27 दिसम्बर 1846) त्रावणकोर
के महाराजा थे। योग्य शासक होने के साथ-साथ वे संगीतज्ञ भी थे। उन्होने भारत की
दोनों शास्त्रीय संगीत शैलियों - हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीत को बढ़ावा दिया,
यद्यपि वे स्व्यं कर्नातक संगीत के ज्ञाता थे। उन्होने ४०० से अधिक संगीत रचनाएँ की। वे मलयालम, संस्कृत, हिन्दी, मराठी, तेलुगु, कन्नड, बांग्ला, तमिल, ओडिया और अंग्रेजी
सहित कई भाषाओं में धाराप्रवाह बोल सकते थे।
श्री स्वाति तिरुनाल बालराम वर्मा ने ही तिरुअनन्तपुरम की खगोलीय वेधशाला,
सरकारी प्रेस, त्रिवेन्द्रम जनता पुस्तकालय, पौर्वात्य पाण्डुलिपि संग्रहालय
(Oriental Manuscript Library) आदि का आरम्भ किया। महाराजा सन् १८४३ से
रॉयल एशियाटिक सोसायटी के सम्मानित सदस्य भी थे।
महाराजा ने दक्षिण भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी में पद्य-रचना की जिनकी गणना
आधुनिक हिन्दी की आरम्भिक रचनाओं में है।
के महाराजा थे। योग्य शासक होने के साथ-साथ वे संगीतज्ञ भी थे। उन्होने भारत की
दोनों शास्त्रीय संगीत शैलियों - हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीत को बढ़ावा दिया,
यद्यपि वे स्व्यं कर्नातक संगीत के ज्ञाता थे। उन्होने ४०० से अधिक संगीत रचनाएँ की। वे मलयालम, संस्कृत, हिन्दी, मराठी, तेलुगु, कन्नड, बांग्ला, तमिल, ओडिया और अंग्रेजी
सहित कई भाषाओं में धाराप्रवाह बोल सकते थे।
श्री स्वाति तिरुनाल बालराम वर्मा ने ही तिरुअनन्तपुरम की खगोलीय वेधशाला,
सरकारी प्रेस, त्रिवेन्द्रम जनता पुस्तकालय, पौर्वात्य पाण्डुलिपि संग्रहालय
(Oriental Manuscript Library) आदि का आरम्भ किया। महाराजा सन् १८४३ से
रॉयल एशियाटिक सोसायटी के सम्मानित सदस्य भी थे।
महाराजा ने दक्षिण भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी में पद्य-रचना की जिनकी गणना
आधुनिक हिन्दी की आरम्भिक रचनाओं में है।
RANJANI AND GAYATRI
Ranjani (Born May 13, 1973) and Gayatri (Born May10,1976) are
two sisters who perform as a Carnatic vocal and violin duo. They
have also appeared as soloists, accompanists, composers, and
educators of Indian Classical Music.
Their work includes studio recordings; television, radio, and
festival appearances; live concerts; and lecture demonstrations.
two sisters who perform as a Carnatic vocal and violin duo. They
have also appeared as soloists, accompanists, composers, and
educators of Indian Classical Music.
Their work includes studio recordings; television, radio, and
festival appearances; live concerts; and lecture demonstrations.
Ranjani and Gayatri sing on the presiding God of Kashi or Varansi,
Shri Vishwanath, as they take a serene boat ride through the sacred
waters of the Ganga. An intimate scenic setting for this soul lifting
andwell loved Bhajan by Swati Thirunal in Raga Sindhubhairvi.
The Ganga and Kashi are inexhaustible source of inspiration and
divine vibes for all pilgrims and musicians.
Shri Vishwanath, as they take a serene boat ride through the sacred
waters of the Ganga. An intimate scenic setting for this soul lifting
andwell loved Bhajan by Swati Thirunal in Raga Sindhubhairvi.
The Ganga and Kashi are inexhaustible source of inspiration and
divine vibes for all pilgrims and musicians.
विश्वेश्वर दर्शन कर चल मन तुम काशी
विश्वेश्वर दर्शन जब कीन्हो बहु प्रेम सहित
काटे करुणानिधान जनन-मरण फांसी
काटे करुणानिधान जनन-मरण फांसी
भस्म अंग, भुज त्रिशूल, उर में लसे नागमाला
गिरिजा अर्धांग धरे, त्रिभुवन जिन दासी
गिरिजा अर्धांग धरे, त्रिभुवन जिन दासी
पद्मनाभ कमलनयन त्रिनयन शम्भु महेश
भज ले इन दो स्वरूप रहिये अविनाशी
भज ले इन दो स्वरूप रहिये अविनाशी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें