https://youtu.be/D0Zl_3yol44
जय जय जग जननि देवि / गोस्वामी तुलसी दास / विनय पत्रिका
जय जय जगजननि देवि सुर-नर-मुनि-असुर-सेवि,
भुक्ति-मुक्ति-दायिनि, भय-हरणि कालिका।
मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्वशर्वरीश-वदनि,
ताप-तिमिर-तरुण-तरणि किरणमालिका ॥१॥
भुक्ति-मुक्ति-दायिनि, भय-हरणि कालिका।
मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्वशर्वरीश-वदनि,
ताप-तिमिर-तरुण-तरणि किरणमालिका ॥१॥
वर्मचर्म कर कृपाण, शूल-शेल-धनुषबाण,
धरणि, दलनि दानव-दल, रण-करालिका।
पूतना-पिशाच-प्रेत डाकिनि-शाकिनि-समेत ,
भूत-ग्रह-बेताल खग-मृगालि-जालिका ॥२॥
जय महेश-भामिनी, अनेक-रूप-नामिनी,
समस्त-लोक-स्वामिनी, हिमशैल-बालिका।
रघुपति-पद परम प्रेम, तुलसी यह अचल नेम ,
देहु ह्वै प्रसन्न पाहि प्रणत-पालिका ॥३॥
समस्त-लोक-स्वामिनी, हिमशैल-बालिका।
रघुपति-पद परम प्रेम, तुलसी यह अचल नेम ,
देहु ह्वै प्रसन्न पाहि प्रणत-पालिका ॥३॥
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