गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

श्यामा श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है.../ रचना : घासी राम /गायन : विशेष गुप्ता एवं ध्रुव शर्मा

 https://youtu.be/z3efdo4opi0  

घासी राम 
घासीराम का नाम 'रीति काल' के प्रसिद्ध कृष्ण भक्त कवियों में लिया जाता है। 
भगवान श्रीकृष्ण से सम्बंधित कई भक्ति पदों की रचनाएँ इन्होंने की हैं। 

श्यामा श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है।
सिंगार बसंती है ...हो सिंगार बसंती है।

मोर मुकुट की लटक बसंती, चन्द्र कला की चटक बसंती,
मुख मुरली की मटक बंसती, सिर पे पेंच श्रवण कुंडल छबि लाल बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत...॥१॥

माथे चन्दन लग्यो बसंती, कटि पीतांबर कस्यो बसंती,
मेरे मन मोहन बस्यो बसंती, गुंजा माल गले सोहे फूलन हार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत..॥२॥

कनक कडुला हस्त बसंती, चले चाल अलमस्त बसंती,
फहर रहे सब वस्त्र बसंती, रुनक झुनक पग नूपुर की झनकार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत...॥३॥

संग ग्वालन को टोल बसंती, बजे चंग ढफ ढोल बसंती,
बोल रहे है बोल बसंती, सब सखियन में राधे की सरकार बसंती है ।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत...॥४॥

परम प्रेम परसाद बसंती, लगे चसीलो स्वाद बसंती,
ह्वे रही सब मरजाद बसंती, घासीराम नाम की झलमल झार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत..॥५॥

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