https://youtu.be/_H8HDDmpOFo
जय संकर जय त्रिपुरारि।
जय अध पुरुष जयति अध नारि॥
आध धवल तनु आधा गोरा।
आध सहज कुच आध कटोरा॥
आध हड़माल आध गजमोति।
आध चानन सोह आध विभूति॥
आध चेतन मति आधा भोरा।
आध पटोर आध मुँजडोरा॥
आध जोग आध भोग बिलासा।
आध पिधान आध दिग-बासा॥
आध चान आध सिंदूर सोभा।
आध बिरूप आध जग लोभा॥
भने कबिरतन विधाता जाने।
दुइ कए बाँटल एक पराने॥
जय अध पुरुष जयति अध नारि॥
आध धवल तनु आधा गोरा।
आध सहज कुच आध कटोरा॥
आध हड़माल आध गजमोति।
आध चानन सोह आध विभूति॥
आध चेतन मति आधा भोरा।
आध पटोर आध मुँजडोरा॥
आध जोग आध भोग बिलासा।
आध पिधान आध दिग-बासा॥
आध चान आध सिंदूर सोभा।
आध बिरूप आध जग लोभा॥
भने कबिरतन विधाता जाने।
दुइ कए बाँटल एक पराने॥
भावार्थ :
हे शंकर, हे त्रिपुरारी, आपकी जय हो! आधे पुरुष की जय हो,
आधी नारी की जय हो! आधी देह धौली है, आधी गोरी है आधा
स्तन सपाट है, आधा कटोरे की तरह।आधी माला हाड़ों की है,
आधी माला गजमोतियों की।आधे में चंदन लगा रखा है, आधे
में भभूत रमा रखी है।आधा होश ठीक है, आधे में दीवानापन है।
आधा कटि-सूत्र रेशम का है, आधी मूँज की डोरी है।आधे में योग
है, आधे में भोग-विलास।आधे में परिधान है, आधे में नंगापन।
आधे में चाँद है, आधे में सिंदूर का टीका। आधा रूप बेढंगा है,
आधा भुवन-मोहन। विद्यापति ने कहा—“विधाता को ही पता
होगा कि यह क्या है ! उसी ने एक प्राण को इस तरह दो हिस्सों में
बाँट रखा है।”
आधी नारी की जय हो! आधी देह धौली है, आधी गोरी है आधा
स्तन सपाट है, आधा कटोरे की तरह।आधी माला हाड़ों की है,
आधी माला गजमोतियों की।आधे में चंदन लगा रखा है, आधे
में भभूत रमा रखी है।आधा होश ठीक है, आधे में दीवानापन है।
आधा कटि-सूत्र रेशम का है, आधी मूँज की डोरी है।आधे में योग
है, आधे में भोग-विलास।आधे में परिधान है, आधे में नंगापन।
आधे में चाँद है, आधे में सिंदूर का टीका। आधा रूप बेढंगा है,
आधा भुवन-मोहन। विद्यापति ने कहा—“विधाता को ही पता
होगा कि यह क्या है ! उसी ने एक प्राण को इस तरह दो हिस्सों में
बाँट रखा है।”
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