गुरुवार, 18 अप्रैल 2024

राघव पे जनि रंग डारो री राघव पे...

 https://youtu.be/hc5aCV63cmc 

राघव पे जनि रंग डारो री।।राघव पे।।

कोमलगात बयस अति थोरी।
मूरति मधुर निहारो री।।राघव पे।।

सकुचि सभीत छिपे आँचर महँ।
कुछ तो दया विचारो री।।राघव पे।।

विविध शृङ्गार बिरचि साजो हौं।
दृग अंजन न बिगारो री।।राघव पे।।

बरजोरी भावज रघुवर की।
जनि मारो पिचकारी री।।राघव पे।।

'गिरिधर' प्रभु की ओरी हेरी।
होरी खेल सुधारो री।।राघव पे।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें