शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

जीर सन धनी मोर पातर.../ सोहर / गीत : डा. बुद्धिनाथ मिश्र / गायन : रंजना झा

 https://youtu.be/QgVTtUWO4mg  

जीर सन धनी मोर पातरि, चान सन सुन्नरी हे ललना रे फूल सन धनि सुकुमारि बेदन कोना सहतीहि हे। मांगि एलों देवता पितर सँ, पूजी एलों गहवर हे ललना रे निपी एलों देवी चिनवार, भरल आई नव घर हे। दसरथ लेल सुत राम , जनक लेल सिया धिया हे ललना रे जगतक लेल अनमोल, रतन दुनु सिया राम हे। उगले पुरुब दिस सुरुज, चनरमा पछिम दिस हे ललना रे चहु दिस भेल उजियार, भागल दुख कोन दिस हे। धरती सहय जेना बरखा, सहय जेना पाथर हे ललना रे जननी सहय दुख भारी भीजय नोरे आँचर हे। डुमरी के फूल नहि देखल, केरा फरय एक बेर हे ललना रे हरिन जनम नहि देब, बेदन सहय बेर बेर हे।

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