शनिवार, 11 जनवरी 2020

रात भर मुझको ग़म-ए-यार ने सोने न दिया.... / बहादुर शाह ज़फ़र / जफ़र हुसैन ख़ान बदाऊंनी क़व्वाल

https://youtu.be/Fo_FQHNvAP0


रात भर मुझको ग़मे-यार ने सोने न दिया   
सुब्ह को खौफ़े-शबे-दार ने सोने न दिया
शम'अ की तर्ह मुझे रात कटी सूली पर
चैन से यादे-क़दे-यार ने सोने न दिया   
मैं वो मजनूँ हूँ कि ज़िन्दाँ में निग़हबानों को 
मेरी ज़ंज़ीर की झंकार ने सोने न दिया 
यासो-ग़म रंजो-अलम मेरे हुए दुश्मने-जां
 ऐ ज़फ़र शब को इन्हीं चार ने सोने न दिया  
                                 *

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