मंगलवार, 14 सितंबर 2010

हिंदी-दिवस पर विशेष

कुछ तो हिंदी में बोलिए साहिब...

-अरुण मिश्र

कुछ तो हिंदी में बोलिए साहिब
मन की गांठों को खोलिए साहिब।।

पाँच-तारे से निकल कर तो कभी
गाँव - गलियों में डोलिए साहिब।।

फ़र्ज़ कुछ आप का भी बनता है
अपना दिल तो टटोलिये साहिब।।

आप ने है बहुत तरक्की की
आप गैरों के हो लिए साहिब।।

आप ने भी मनाया हिंदी-दिवस
सब के संग थोड़ा रो लिए साहिब।।

10 टिप्‍पणियां:

  1. पाँच-तारे से निकल कर तो कभी।
    गाँव - गलियों में डोलिए साहिब।’
    अति सराहनीय विचार।
    हिंदी दिवस पर हार्दिक बधाई।
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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  2. उत्साहवर्धन एवं सराहना हेतु धन्यवाद, डॉ. डंडा लखनवी जी|

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  3. अति सराहनीय विचार। हार्दिक बधाई।

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  4. कुछ तो हिंदी में बोलिए साहिब।
    मन की गांठों को खोलिए साहिब।।
    पाँच-तारे से निकल कर तो कभी।
    गाँव - गलियों में डोलिए साहिब

    बहुत अच्छा लिखा है अंग्रेजीदां लोगों को भी सीखनी चाहिए हिंदी

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  5. "आप ने भी मनाया हिंदी-दिवस।
    सब के संग थोड़ा रो लिए साहिब।।"

    जितना कर सकते थे हम भी कर लिए साहिब
    जय हिंदी

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  6. सुश्री वीना जी,श्रीयुत पाटली जी एवं श्रीयुत राकेश कौशिक जी,आप सब की सहृदय टिप्पणियों के लिए हृदय से आभारी हूँ | - अरुण मिश्र.

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  7. बहुत सुन्दर रचना , ...!!!.

    शब्दों के इस सुहाने सफ़र में आज से मैं भी आपके साथ हूँ , इस उम्मीद से की सफ़र शायद दोनों के लिए कुछ आसान हो .....मिलते रहेंगे

    अथाह...

    !!!

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  8. apkee rachna ne mujhmen bhee kuch ummiden jagai hai sochta hu main bhi kalam lekar nikal padta hu apki rahon me.

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  9. आप ने है बहुत तरक्की की।
    आप गैरों के हो लिए साहिब।। naked truth

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  10. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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