मंगलवार, 28 सितंबर 2010

स्वप्न का है रूप कैसा

 
 
टिप्पणी :   यह कविता मेरे काव्य-संग्रह  'अंजलि भर भाव के प्रसून' से साभार उद्धृत है|
              - अरुण मिश्र

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर कविता ....सत्य को कहती हुई ..

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  2. बहुत सुन्दर कविता है यह...............................मेरी पोस्ट पे आपने सत्य कि खोज सम्बंधित गंभीर भाव व्यक्त किये आभार !

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  3. कृपया टिपण्णी वार्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये भावाभिव्यक्ति में अटक पैदा करता है

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  4. सुन्दर रचना,,

    एक निवेदन:

    कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये

    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:

    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..जितना सरल है इसे हटाना, उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये.

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  5. गीत जी,अमित जी,एवं उड़न तश्तरी जी,आप सब की अमूल्य टिप्पणियों के लिए आभार|उड़न तश्तरी जी,आप के वर्ड वेरिफिकेसन संबंधी गुरुमंत्र के लिए धन्यवाद|निर्देशानुसार प्रयास किया है|शायद सफलता मिल गई हो|
    -अरुण मिश्र.

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