शुक्रवार, 24 जून 2011

मुझ पर मेरे मालिक की नज़र ...

( टिप्पणी : आडिओ क्लिप में, स्वर एवं संगीत रचना 
उस्ताद जमील रामपुरी की है| रिकार्डिंग वर्ष २००३ की है| )
           
-अरुण मिश्र. 

मुझ पर  मेरे मालिक की नज़र  क्यों नहीं होगी? 
जब  रात  कटेगी   तो,  सहर   क्यों  नहीं  होगी??

उन  सीप सी आँखों  में,  अभी  बन्द है  जो बूँद । 
जब  आँख  से टपकेगी,  गुहर  क्यों  नहीं होगी??

मैं कितना भी ख़ामोश जलूँ,शम्आ की मानिंद। 
पर   मेरे   पतिंगे   को   ख़बर   क्यूँ   नहीं होगी??

किस दौर से  गुज़रा नहीं , इन्सान  ‘अरुन जी’। 
इस दौर में, फिर  अपनी बसर, क्यूँ  नहीं होगी??
                                 *

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल और उम्दा गायकी!

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  2. प्रिय अल्पना जी, आपकी पसंद का आभारी हूँ|मैंने आप के ब्लॉग देखे|आपकी रचनात्मकता और स्वर-संपदा से प्रभावित हुआ| शुभकामनायें|
    -अरुण मिश्र.

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