( टिप्पणी : आडिओ क्लिप में, स्वर एवं संगीत रचना
उस्ताद जमील रामपुरी की है| रिकार्डिंग वर्ष २००३ की है| )
उस्ताद जमील रामपुरी की है| रिकार्डिंग वर्ष २००३ की है| )
-अरुण मिश्र.
मुझ पर मेरे मालिक की नज़र क्यों नहीं होगी?
जब रात कटेगी तो, सहर क्यों नहीं होगी??
उन सीप सी आँखों में, अभी बन्द है जो बूँद ।
जब आँख से टपकेगी, गुहर क्यों नहीं होगी??
मैं कितना भी ख़ामोश जलूँ,शम्आ की मानिंद।
पर मेरे पतिंगे को ख़बर क्यूँ नहीं होगी??
किस दौर से गुज़रा नहीं , इन्सान ‘अरुन जी’।
इस दौर में, फिर अपनी बसर, क्यूँ नहीं होगी??
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बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल और उम्दा गायकी!
जवाब देंहटाएंप्रिय अल्पना जी, आपकी पसंद का आभारी हूँ|मैंने आप के ब्लॉग देखे|आपकी रचनात्मकता और स्वर-संपदा से प्रभावित हुआ| शुभकामनायें|
जवाब देंहटाएं-अरुण मिश्र.