ग़ज़ल
आप मेरे हुज़ूर भी रहिये.....
-अरुण मिश्र.
आप मेरे हुज़ूर भी रहिये।
बा-अदब, बा-शऊर भी रहिये।।
कुछ अज़ब सी हैं ख़्वाहिशें उसकी।
जाम नज़रों के, पीजिये हरदम।
और फिर, बेसुरूर भी रहिये।।
मिस्ले-काजल भी रहिये आँखों में।
हो के आँखों का नूर, भी रहिये।।
आप बेशक़ गुनाह भी कीजे।
ज़ाहिरा बेकुसूर भी रहिये।।
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