ग़ज़ल
इन अ’शआर का बाँकपन भी तो देखो....
-अरुण मिश्र
वो सूरत ‘अरुन’ , ख़ूबसूरत बला की।
जलाया जो दिल, हमने कीमत अदा की।।
नहीं बेसबब , शौक़े - दीदारे - साक़ी।
अभी तो बची है , बहुत प्यास बाकी।।
बहकने पे मेरे , उसी को शिक़ायत।
उसी ने तो ये मस्तियां हैं अता की।।
थिरकते हुये पाँव , सब उसके देखें।
कोई देखे लग्ज़िश, हमारे भी पा की।।
इन अ’शआर का बाँकपन भी तो देखो।
जो लेते बलायें हो उसके अदा की।।
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