रविवार, 20 जनवरी 2013

इन अ’शआर का बाँकपन भी तो देखो....


ग़ज़ल

इन अ’शआर का बाँकपन भी तो देखो....

-अरुण मिश्र 

वो  सूरत   ‘अरुन’ ,  ख़ूबसूरत बला की।
जलाया जो दिल, हमने कीमत अदा की।।
  
नहीं    बेसबब ,    शौक़े - दीदारे - साक़ी।
अभी  तो  बची है ,  बहुत   प्यास  बाकी।।
  
बहकने  पे  मेरे ,   उसी  को   शिक़ायत।
उसी  ने  तो  ये   मस्तियां  हैं  अता  की।।
  
थिरकते  हुये  पाँव ,  सब   उसके   देखें।
कोई  देखे  लग्ज़िश,  हमारे भी   पा की।।
  
इन  अ’शआर का बाँकपन भी तो देखो।
जो   लेते   बलायें  हो   उसके  अदा  की।। 
                                 *

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