शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

प्रिय पौत्र कुशाग्र के जन्म-दिवस पर

कुशाग्र  मिश्र











नवांकुर...
-अरुण मिश्र

यह    नवांकुर    कुक्षि   से,   
रुचिरा ऋचा के जो उगा है |
मिश्र -कुल-वंशावली-मणि-
माल, नव-कौस्तुभ लगा है ||

          प्रज्ज्वलित   नव - दीप   सा,
          जो  आज  घर की  देहरी  पर |
          क्षितिज पर  कुल - व्योम के,
          चमका  नया  नक्षत्र  भास्वर ||

लहलहाई,    वंश   की    फिर-
बेल,    फूटी     नई     कोंपल|
दूध  से   आँचल   भरा;  कुल -
तरु,  फला  है  पूत  का  फल|| 

            पुष्प    जो    अभिनव   खिला,
            परिवार-बगिया में विहंस कर |
            गोद  दादी   के,  पितामह  के, 
            ह्रदय    में ,   मोद    दे     भर ||

हो 'कुशाग्र', कुशाग्र-मेधायुत,
अपरिमित    बुद्धि - बल    हो|
मंगलम, मधुरं,  शुभम, प्रिय,
प्रोज्ज्वल,  प्रांजल,  प्रबल हो||
                            *
टिप्पणी :  अपने पौत्र चिरंजीव  'कुशाग्र' के जन्म पर,  लिखी गई यह कविता, आज उसके जन्म तिथि (२१ सितम्बर) पर स्नेह, आशीष एवं शुभकामनाओं के साथ। 

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