शनिवार, 31 अगस्त 2019

तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये...

https://youtu.be/WF4v081fqGw
स्वर : सीमा मुंद्रा साबू 
तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये...

ॐ....

सौराष्ट्र देशे वसुधावताशे ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंशं। 
भक्ति प्रदानाय कृपावतारं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।। 

शिवं दयालुं कृपया विशालं पूर्णावतारं जगदेकनाथं। 
वेदात्परं वेदमयं स्वरूपं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।

वेदावतारं निजदेवरूपं ज्ञानस्वरूपं गुरुज्योतिरूपं
स्ववामभागे गिरिजासमेतं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।

वेदांतवाक्यं  मुनिभिर्गम्यम एतादृशं शम्भुमहं भजामि। 
सौराष्ट्रदेशे  गुजराज राजं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।

श्रीयन्त्रराजं गुरुयन्त्रराजं शशांकसूर्याग्नित्रिनेत्रनाथं। ब्रह्मादिभिः सेवितपादपद्मं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।

कर्पूरगौरं वृषभध्वजं च प्रभाषनाथं गुरुदेवदेवं।
इंद्रादिभिः सेवितपादपद्मं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।

देवाधिदेवं शिवशूलपाणिं विश्वात्मकं कारण दिव्यलिंगं।
षटशास्त्रवाक्ये श्रुतिभिर्गम्यम तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।। काव्यानिकांतं मनोरमं च कण्ठेयुगरलांकित चंद्रचूड़ं।
आनन्दमूर्तिं करुणाकरस्थं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।। क्षेत्रे प्रभाषे शिव सोमनाथं गङ्गाधरं भूतिधरं महेशं।
सोमेश्वरं पन्नगभूषणं च तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।

रुद्रेश्वरम शङ्कर सिद्धनाथं मंकेश्वरम शंकर कामनाथं।
दशाश्वमेधेश्वर भीमनाथं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।। गुरुस्वरूपेण कृतं च स्तोत्रं सर्वार्थदं मुक्तिप्रदं द्विजानां।
विद्याप्रदं पौत्रप्रदं सुरेशं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।। *

शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

सजन घर आओ रे...

https://youtu.be/YnFRlGY4ZrU

सजन घर आओ रे...

स्वर : अन्वेषा 
संगीत : प्रसाद पाठक
गीत : समीर सामन्त 
कलाकार :पूनम घाडगे 

आदरपूर्वक सभी सैनिक पत्नियों को समर्पित,
जिनकी आँखें अपने पति को देखने के लिए तरसती हैं।

मंगलवार, 27 अगस्त 2019

चन्द्रशेखराष्टकं (महर्षि मार्कण्डेय कृत) का भावानुवाद


चन्द्रशेखराष्टकं (महर्षि मार्कण्डेय कृत)

भावानुवाद - अरुण मिश्र

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर तुम मेरे संकट हरो।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर तुम मेरी रक्षा करो।।


रजत शृङ्गों का निकेतन, रत्न शिखरों का धनुष
बने वासुकि शिंजिनी, सायक बने श्रीहरि स्वयं। 
त्रिपुर दग्धक क्षिप्र गति, त्रैलोक्य अभिवन्दित, सदा 
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा ॥१॥

शोभित पदाम्बुजद्वय, सुगन्धित पञ्चपादपपुष्प से;

भाल-लोचन-ज्वाल से है जल गया मन्मथ शरीर;
भस्म भूषित, भव-विनाशक, नित्य अविनाशी स्वयं;
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा ॥२॥

मत्त गज के चर्म का जिसका मनोहर उत्तरीय;

और ब्रह्मा-विष्णु-पूजित पद-कमल जिसके सदा;
सुर-सरित की लहर-सिञ्चित, शुभ्र है जिसकी जटा,
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥३॥


यक्ष-मित्र, भुजंग-भूषित, दोष-मोचक इंद्र के;
शैलराज-सुता-सुशोभित वाम अंग शरीर का;
परशु औ' मृगछाल-धारी , नील जिसका कंठ है;
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥४॥

पुष्ट वृष वाहन, सु-कुण्डल कुण्डलीकृत वासुकी।
भुवन-पति वैभव बखानें, नारदादि मुनीश-गण;
आश्रय में अन्धकासुर, अमरपादप रूप में;
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥५॥

भेषज सकल भव-रोग के, हर्ता समस्त विपत्ति के;
तीन लोचन, त्रिगुण धारक, यज्ञ-ध्वंशक दक्ष के;
जो सकल अघ-ताप-नाशी, भुक्ति-मुक्ति-सुफलप्रदा
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥६॥

पुण्य अक्षयनिधि, दिगम्बर, भक्तवत्सल पूज्य जो,
सर्व भूताधीश,  सबसे श्रेष्ठ  जो हैं  अप्रमेय। 
सोम-वारिद आदि  आठों तत्त्व में  जो व्याप्त हैं,
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥७॥

विश्व-सृष्टि के रचयिता, पुनः पालनहार भी,
और सारे लोक के संहार का रचते प्रपञ्च।
ले गणों को संग, खेलें प्राणियों से रात-दिन 
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥८॥

॥ इति श्रीचन्द्रशेखराष्टकं सम्पूर्णम् ॥


मूल संस्कृत पाठ :

चन्द्रशेखराष्टकं


चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहि माम् ।

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष माम् ॥

रत्नसानुशरासनं रजतादिश‍ृङ्गनिकेतनं
शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युताननसायकम् ।
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदिवालयैरभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥१॥

पञ्चपादपपुष्पगन्धपदाम्बुजद्वयशोभितं

भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम् ।
भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशनं भवमव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥२॥

मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं

पङ्कजासनपद्मलोचनपूजिताङ्घ्रिसरोरुहम् ।
देवसिन्धुतरङ्गसीकरसिक्तशुभ्रजटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥३॥

यक्षराजसखं भगाक्षहरं भुजङ्गविभूषणं

शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम् ।
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥४॥

कुण्डलीकृतकुण्डलेश्वरकुण्डलं वृषवाहनं

नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम्
अन्धकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥५॥

भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं

दक्षयज्ञविनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं सकलाघसङ्घनिबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥६॥

भक्तवत्सलमर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं

सर्वभूतपतिं परात्परम्प्रमेयमनुत्तमम् ।
सोमवारिदभूहुताशनसोमपानिलखाकृतिं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥७॥

विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं

संहरन्तमपि प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम् ।
क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमन्वितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥८॥

॥ इति श्रीचन्द्रशेखराष्टकं सम्पूर्णम् ॥


https://youtu.be/VECfX823mxU

रविवार, 25 अगस्त 2019

भाद्रपद के कृष्ण-घन फिर आ गये हैं.....

Dark and Scary Clouds


- अरुण मिश्र

प्रिय ! 
तुम्हारी याद लेकर,
भाद्रपद के कृष्ण-घन 
फिर आ गये हैं।
छा गये आकाश पर मन के 
सुहासिनि !
मधुस्मृतियों के कलश 
ढरका गये हैं।
हो उठा रससिक्त
फिर से, प्राण,
गत-आस्वाद लेकर।
प्रिय ! 
तुम्हारी याद लेकर।।


               कर रहीं स्मृति फुहारें, 
               हृत्-पुलिन आहत।
               भीगती, ठंढी हवायें,   
               और मर्माहत। 
               माँग सौदामिनि बनी, 
               झकझोरती अस्तित्व;
               दूर, मेरी  प्रेयसी,  
               बैठी  लिये  चाहत।।


कल्पनाएँ, 
और भी चढ़ती गईं, 
उन्माद लेकर।
प्रिय ! 
तुम्हारी याद लेकर।।


               बीसवाँ पावस, पड़ा
               मुझको बहुत भारी।
               आग बरसाती घटा
               हर  बूँद  चिनगारी।
               इंद्र-धनु से 
               विष-बुझे शर छूटते हैं,
               तोड़ देने को मुझे,
               हर ओर तैय्यारी।।


मैं प्रतिक्षण
और कसता जा रहा
अवसाद लेकर।
प्रिय ! 
तुम्हारी याद लेकर।।
                           *  
(टिप्पणी : लगभग ४७  साल पहले, वर्ष १९७२ में लिखी यह कविता, 
 काव्य-संग्रह "अंजलि भर भाव के प्रसून" में  संकलित है |) 
(पूर्वप्रकाशित )

गुरुवार, 22 अगस्त 2019

स्वागतम् कृष्णा शरणागतम् कृष्णा / वेङ्कट कवि (१७०० -१७६५ ई०)


https://youtu.be/RBrBtdAGiNM Sung by- Nandini Rao Gujar

https://youtu.be/Fuc5V9ZdziU Sung by - K.J Jesudhoss

Swagatham Krishna


By

OOthukadu Venkata Subba iyer  or 
Oothukkadu Venkata Kavi (c. 1700-1765) 

Translated by

P.R.Ramachander

Raga : Mohana
Tala : Aadi


Pallavi

swaagatam krishha saranaagatam krishnaa
madhuraapuri sadanaa mridu vadanaa madhusoodana iha


Anupallavi

Boga Thaptha sulabha supushpa gandha kalapa,
Kasthuri thilaka mahitha mama kantha nanda gopa Kandha


Charanam

Mushtikasura Chanoora malla , Madhu soodhana , Kuvalayapeeda,
Mardhana, Kalinga narthana , Gokula Rakshana , Sakala sulakshana,
Deva sishta jana pala , Sankalpa kalpa , kalpa satha koti samprabhava,
Dheera , Muni jana vihara . Madana sukumara , Daithya samhara, deva,
Madhura madhura rathi sahasa , sahasa Vruja yuvathi jana manasa poojitha.


English translation

Pallavi 

Welcome to you Krishna, Surrender to you Krishna
He who lived in Mathura, He who has a tender face, He who killed Madhu


Anupallavi

He who is hot with passion, he who is easy to get, He who is like a flower,
He who apples sandal paste, He who puts musk Thilaka,
He who is honoured, He who is my lord and baby son of Nanda Gopa.


Charanam

Killer of Madhu, wrestlers Mushtika and Chanoora and elephant Kuvalayapita,
He who danced on Kaalinga, He who saved Gokula, He who has all good signs,
He who looked after devas and good people, He who created time just 
by thought,
He who is powerful in hundred crores of eons, He who is brave,
He who lived with sages, He who is pretty God of love, He who killed Asuras,
He who is sweet to devas, He who is bold in sweet passionate acts,
He who is worshipped in the minds of maidens of Brindavan.

रविवार, 18 अगस्त 2019

ना मैं आलिम, ना मैं फ़ाज़िल.... / सुल्तान बाहू (१६३०-१६९१)

https://youtu.be/X49wpbMQCqU
स्वर : जसलीन औलख  


ना मैं आलिम, ना मैं फ़ाज़िल, 

ना मुफ़्ती, ना क़ाज़ी हू।

ना दिल मेरा दोज़ख़ माँगे,
ना शौक़ बहिश्तीं राज़ी हू। 

ना मैं तेरे रोज़े रक्खे,
ना मैं पाक नमाज़ी हू। 

बाज विसाल अल्लाह दे बाहू,  
दुनिया कोरी बाज़ी हू। 

Sultan Bahu was a Sufi mystic, poet, and scholar active during the Mughal empire mostly in the present-day Punjab province of Pakistan. He belonged to Qadiri Sufi order, and founded the mystic tradition known as Sarwari Qadiri. 
Born17 January 1630, Shorkot, Pakistan
Died1 March 1691, Jhang, Pakistan
ENGLISH TRANSLATION 
I am neither scholarly nor virtuous;
I am not a priest, Nor am I an expounder of Qur’anic law.
I crave not heavenn, I fear not hell.
I have never fasted for the thrity days of ramzaan,
Nor have I been a devout worshipper in a mosque.
This world is but a false drama
Unless union is attained with God, O Bahu

शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

ओम् महाप्राण दीपम् शिवम् शिवम् ....

Om Mahapraana Deepam Shivam Shivam 
Song from Telugu Movie - Sri Manjunatha
Lyrics : Shri Ved Vyas

Superbly sung here by a Muslim boy Kasim
The reactions of his parents at his grand performance 
is worth watching.

(originally sung in the movie Manjunatha by Shankar Mahadevan
Music: Hamsalekha)


Lyrics :

Om mahaprana deepam shivam shivam
mahomkara roopam shivam shivam
maha surya chandradi nethram pavithram
maha gaadha timiranthakam souragathram
maha kaanthi beejam maha divya tejam
bhavani sametham bhaje manjunatham

o..ooomm....ooomm..om...
namashankarayacha mayaskarayacha
namashivayacha shivatarayacha bhavaharayacha

mahaprana deepam shivam shivam
bhaje manjunatham shivam shivam

advaitha bhaskaram ardhanaarishwaram
hrudusha hrudhayangamam chaturidhavihangamam
pancha bhoothatmakam shatchatrunashakam
saptha swareshwaram ashtasiddhishwaram
navarasa manoharam
dasha dishaasuvimalam
ekadashojwalam ekanatheshwaram
prasthushivashankaram pranatha jana kinkaram
durjana bhayankaram sajjana shubhankaram
haaribhava taarakam prakruthi vibha taarakam
bhuvana bhavya bhava naayakam bhaagyathmakam rakshakam

eesham suresham rushesham paresham
natesham gourisham ganesham bhoothesham
maha madhura panchakshari manthra maadhyam maha harsha
varsha pravarsham sudheesham
om namo harayacha swara harayacha pura harayacha
rudrayacha bhadrayacha indrayacha nithyayacha nir nidrayacha

maha pranadeepam shivam shivam .........
bhaje manjunatham shivam shivam

dum dum (du dumdam)-3 dadhanka ninaadha nava tandavaadambaram
thadhimmi thakadhimmhi dhidhimmi dhimidhimmi sangeetha
saahithya suma samaram ambaram
omkara hreemkaara srimkaara hraimkaara manthra beejaksharam manjunaatheyshwaram

rugveda maadhyam yajurveda vedyam kaama prageetham adharma
praghatham puranethihasam prasiddham vishuddham
prapanchaika dhootham vibhuddham suhiddham

na kaaram ma kaaram vi kaaram ba kaaram ya kaaram niraakaara
saakaara saaram maha kaala kaalam maha neelakantam
maha nandha gangam mahattattahaasam jata joota rangaika ganga
suchitram jwala rudhra nethram sumithram sugothram
mahakaasha bhaasham maha bhaanu lingam.....
maha hantu varnam suvarnam pravarnam
souraashtra sundharam somanaatheeshwaram
srishaila mandhiram srimallikaarjunam
ujjayinipura maha kaaleshwaram
vaidhyanaatheshwaram maha bheemeshwaram
amara lingeshwaram bhaava lingeshwaram
kaashi vishweshwaram param grishneshwaram
tryambakaadhishwaram naagalingeshwaram
sreeeeeeeeeeeeeeee kedharalingeshwaram    m Yogam K
agnilingathmakam jyothilingathmakam
vaayulingathmakam aathmalingathmakam
akhilalingathmakam agnihomathmakam..


anaadim ameyam ajeyam achinthyam amogham apoorvam anantham akhandam 2 (IInd time faster)
Dharmasthalakshetra vara paramjyothim…3

Om nama somayacha sowmyayacha havyayvacha bhagyayacha shanthayacha shouryayacha yogayacha bhogayacha kaalayacha
Kaanthayaacha ramyayacha gamyayacha srishaayacha sharvayacha sarvaya-cha.

बुधवार, 14 अगस्त 2019

रक्षा-सूत्र


रक्षा-सूत्र
-अरुण मिश्र 
बहन, मेरी कलाई पर,
जो तुमने तार बॉधा है।
तो, इसके साथ स्मृतियों-
का, इक संसार बॉधा है।।

ये धागे सूत के कच्चे।
ये कोमल, रेशमी लच्छे।
दिलाते याद उस घर की,
रहे जिस घर के हम बच्चे।।

इसे बॉधा, तो तुमने,
फिर वही परिवार, बॉधा है।।

बड़ी हो तो, असीसें औ’
दुआयें, बॉधी हैं इसमें।
जो छोटी हो तो, मंगल-
कामनायें बॉधी हैं इसमें ।।

सहज विश्वाश बॉधा है।
परस्पर प्यार बॉधा है।।

सुरक्षित हों सदा भाई।
सदा रक्षित रहे बहना।
ये रक्षा-सूत्र है, इस देश
के, संस्कार का गहना।।

महत् इस पर्व पर, तुमने
अतुल उपहार, बॉधा है।।


(पूर्वप्रकाशित )

श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन .../ संत तुलसी दास (संस्कृत) / जेरी अमलदेव

https://youtu.be/IQqcvZfTI1s
श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन .. 
(संस्कृत) 

संत तुलसी दास 

संगीत एवं स्वर : जेरी अमलदेव 

Jerome Thomas Veleeparambil
more popularly known by his stage name 
Jerry Amaldev (born 15 April 1939) is a 
three-time Kerala State Film Awards 
winning Indian composer of film scores 
who has given music to some of the 
most important motion pictures of 
Malayalam cinema
He is noted for his lyrical and 
expressive melodies together 
with simple but rich tonal 
compositions of Indian music.

रविवार, 11 अगस्त 2019

श्री उमा महेश्वर स्तोत्रं / आदि शंकराचार्य कृत

https://youtu.be/_zAbVQg9sBk




श्री उमा महेश्वर स्तोत्रं

नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां  परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।
नगॆन्द्रकन्या-वृषकॆतनाभ्यां  नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 1 ॥
नमः शिवाभ्यां सरसॊत्सवाभ्यां नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।
नारायणॆनार्चितपादुकाभ्यांनमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 2 ॥
नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।
विभूतिपाटीरविलॆपनाभ्यां नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 3 ॥
नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।
जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्यां नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 4 ॥
नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्यां पञ्चाक्षरीपञ्जररञ्जिताभ्याम् ।
प्रपञ्चसृष्टिस्थितिसंहृताभ्यां नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 5 ॥
नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्यां  अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।
अशॆषलॊकैकहितङ्कराभ्यां  नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 6 ॥
नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्यां कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।
कैलासशैलस्थितदॆवताभ्यां नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 7 ॥
नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्यां अशॆषलॊकैकविशॆषिताभ्याम् ।
अकुण्ठिताभ्यां स्मृतिसम्भृताभ्यां नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 8 ॥
नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्यां रवीन्दुवैश्वानरलॊचनाभ्याम् ।
राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्यां नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 9 ॥
नमः शिवाभ्यां जटिलन्धराभ्यां जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।
जनार्दनाब्जॊद्भवपूजिताभ्यां नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 10 ॥
नमः शिवाभ्यां विषमॆक्षणाभ्यां बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम् ।
शॊभावतीशान्तवतीश्वराभ्यां नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 11 ॥
नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्यां जगत्रयीरक्षणबद्धहृद्भ्याम् ।
समस्तदॆवासुरपूजिताभ्यां नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 12 ॥
स्तॊत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्यां भक्त्या पठॆद्द्वादशकं नरॊ यः।
स सर्वसौभाग्यफलानिभुङ्क्तॆ शतायुरान्तॆ शिवलॊकमॆति ॥ 13 ॥



शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

बंजारा (कबीर) / स्वर : माटीबानी एवं मूरलाला मारवाड़ा

https://youtu.be/6igYlWqhm-U

बंजारा (कबीर)  

स्वर : माटीबानी एवं मूरलाला मारवाड़ा 

Banjara - Maatibaani ft. Mooralala Marwada


The words are by the great saint poet Kabir who expressed
the deepest Truth in the most simple language and whose
poetry is as relevant today as it was in his times!

Banjara is Maati Baani's interpretation of the popular folk song
penned by Kabir.
बंजारा (कबीर )

चक्की चल रही, कबिरा बैठा रोय
दोनों पुड के बीच में साझा न निकले कोय
चक्की चल रही, कबिरा बैठा जोय
खूँटा पकड़ो निज नाम का
तो साझा निकले जो सोय

छोड़ के मत जाओ एकली रे
बंजारा रे ! बंजारा रे !
दूर देस का है मामला
अब जागो प्यारा रे !

अपना साहेब ने महल बनायी , बंजारा रे !
गेहरी गेहरी है बीन बजाई, बंजारा रे !

अपना साहेब ने बाग़ बनायी , बंजारा रे !
फूल भर लाई छाब रे ! बंजारा हो !

कहत कबीरा धरमीदास को
संत अमरपुर मालना बंजारा रे !
ENGLISH TRANSLATION : The millstone of life goes on moving, Kabir weeps Between the layers of truth and untruth, no one is spared The millstone of life goes on moving, Kabir observes He who holds the anchor of His name, will always remain unhurt! Dont leave me now, O Breath, I am a wanderer! Still have to travel faraway lands O the one who is asleep, awake! Our Master has made this body like a palace, And He played the instrument of breath within! Our Master has made this body like a garden, And how He' s filled it with a bowl of flowers! Says Kabir he who follows the truth Will attain the kingdom of immortality!


" Banjara " was recorded live at the folk singer
Mooralala Marwada's home in Dholavira, Kutchh,
in front of a live audience consisting of his whole
neighborhood and of course, the cows and the goats
who occasionally tried to match their notes with ours!