https://youtu.be/Fo_FQHNvAP0
रात भर मुझको ग़मे-यार ने सोने न दिया
सुब्ह को खौफ़े-शबे-दार ने सोने न दिया
शम'अ की तर्ह मुझे रात कटी सूली पर
शम'अ की तर्ह मुझे रात कटी सूली पर
चैन से यादे-क़दे-यार ने सोने न दिया
मैं वो मजनूँ हूँ कि ज़िन्दाँ में निग़हबानों को
मेरी ज़ंज़ीर की झंकार ने सोने न दिया
यासो-ग़म रंजो-अलम मेरे हुए दुश्मने-जां
ऐ ज़फ़र शब को इन्हीं चार ने सोने न दिया
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