https://youtu.be/1TrDovwawRk
महाराजा स्वाति थिरुनाल कृति
भाषा : हिन्दी
राग : हँस आनन्दी
ताल : आदि
नृत्य : हरिणी जीविता
शंकर श्री गिरि नाथ प्रभु के
नृत्य विराजित चित्रसभा में
भस्म, त्रिनेत्र, गले रुण्डमाला
भूतन के संग नाचत भृंगी
झनन झनन धीन धीन त धीन, घूँघरू बाजे
देव-मुनि सब गगन विराजे
ध्रुकु तद्धिम तद्धिम तद्धि धुन बाजे
कोटि मदन जब देखे कि लाजे
ता-तई-त-कित-तक श्रुति गति राजे
पद्मनाभ मन-कमल विराजे
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