बुधवार, 29 जनवरी 2020

स्वीकारो शारदे !.....


                                


स्वीकारो शारदे !

-अरुण मिश्र 

अंजलि भर-
भाव के प्रसून,
चुटकी भर-
प्राणों की गन्ध,
स्वीकारो,
शारदे !

मानस की जल लहरी चरणों तक-
ले   आई   कुछ   सीपी   शंख,
अन्तस्  का  बाल-विहग स्तुति में-
फड़काता रेशम    के     पंख।।

श्रद्धा  का-
शतमुखी प्रवाह-
बाँधे,   ये-
थोड़े  से छन्द,
स्वीकारो,         
शारदे!

रोली,   रक्तिमता    तरुणाई  की,
जीवन  की  शीतलता  का  चन्दन,
जलधर्मी    यायावर बादल    सा-
थम-थम कर, करता मन अभिनन्दन।।

थोड़े  से-
तेरे  ही शब्द;
शब्दों में-
नमन हेतु  द्वन्द;
निपटारो,
शारदे!

अंजलि भर-
भाव के प्रसून,                                  
चुटकी भर-
प्राणों की गन्ध-
स्वीकारो,
शारदे !
                       *

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