शनिवार, 17 अक्टूबर 2020

हर बात है रिंदाना.../ अमीर ख़ुसरौ / मालिनी अवस्थी

 https://youtu.be/ffO0KUwTxh8

हर हर्फ़ है सरमस्ती हर बात है रिंदाना छाई है मेरे दिल पर वो नरगिस-ए-मस्ताना वो अश्क बहे ग़म में ये जां हुई ग़र्क-ए-ख़ुम लबरेज़ हुआ आख़िर यूँ उम्र का पैमाना आ डाल मेरे दिल में ज़ुल्फ़ों के ये पेंंच-ओ-ख़म आशुफ़्तासरों का है आबाद सियाहखाना वल्लाह क़शिश क्या थी मस्ती भरी आँखों की ये राह चला खुसरो रिन्दाना ओ मस्ताना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें