गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020

वेदसार शिवस्तवः / शंकराचार्य कृति / स्वर - माधवी मधुकर झा

 https://youtu.be/l3enMqp3yjY 





वेदसार शिवस्तवः
पशुनां पतिं पाप नाशं परेशं
गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम ।
जटाजूट मध्ये स्फुरग्दाग्ङवारिम
महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम ॥1॥
महेशं सुरेशं सुरारार्तिनाशं
विभुं विश्वनाथं विभूत्यङभूषणम ।
विरूपाक्षामिन्द्वर्कवन्हित्रिनेत्रं
सदानन्मीहे प्रभुं पंचवक्त्रम ॥2॥
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं
गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम ।
भवं भास्वरं भस्मना भषिताङं
भवानीकलत्रं भजे पंचवक्त्रम ॥3॥
शिवांत शम्भो शशाङ्कार्थमौले
महेशान शूलिन जटाजूटधारिन ।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप
प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूपं ॥4॥
परात्मानमेकं जगद्वीजमाद्यं
निरीहं निराकारमोङ्कारवेद्यम ।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वम
तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम ॥5॥
न भूमिर्नचापो न वद्विर्न वायुर्न
चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा ।
न ग्रीश्मो न शीतं न देशों न देषो
न यस्यास्ति मुर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीडे ॥6॥
अजं शश्वतं कारणं कारणानां
शिवं केवलं भास्कं भासकानाम ।
तुरीयं तमः पारमाद्यंतहीनं
प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम ॥7॥
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमुर्ते
नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते ।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगम्य
नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्य ॥8॥
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ
महादेव शम्भो महेश त्रिनेत्र ।
शिवांत शांत स्मरारे पुरारे
त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गणयः ॥9॥

वेदसार शिव स्तव : अर्थ 1. अर्थ - जो सम्पूर्ण प्राणियोंके रक्षक हैं, पापका ध्वंस करनेवाले हैं, परमेश्वर हैं,

गजराजका चर्म पहने हुए हैं तथा श्रेष्ठ हैं और जिनके जटाजूटमें श्रीगंगाजी खेल रही हैं,

उन एकमात्र कामारि श्रीमहादेवजीका मैं स्मरण करता हूँ। ॐ नमः शिवाय 2. अर्थ - चन्द्र, सूर्य और अग्नि – तीनों जिनके नेत्र हैं, उन विरूपनयन महेश्वर, देवेश्वर,

देवदुःखदलन, विभु, विश्वनाथ, विभूतिभूषण, नित्यानन्दस्वरूप, पंचमुख भगवान् महादेव

की मैं स्तुति करता हूँ। ॐ नमः शिवाय 3. अर्थ - जो कैलाश नाथ हैं, गणनाथ हैं, नीलकण्ठ हैं, बैलपर चढ़े हुए हैं, अगणित रूपवाले हैं,

संसारके आदिकारण हैं, प्रकाशस्वरूप हैं, शरीरमें भस्म लगाये हुए हैं और श्रीपार्वतीजी जिनकी

अर्द्धांगिनी हैं, उन पंचमुख महादेवजीको मैं भजता हूँ। ॐ नमः शिवाय 4. अर्थ - हे पार्वतीवल्लभ महादेव! हे चन्द्रशेखर! हे महेश्वर! हे त्रिशूलिन्! हे जटाजूटधारिन्!

हे विश्वरूप! एकमात्र आप ही जगत्‌में व्यापक हैं। हे पूर्णरूप प्रभो! प्रसन्न होइये, प्रसन्न होइये।

ॐ नमः शिवाय 5. अर्थ - जो परमात्मा हैं, एक हैं, जगत्‌के आदिकारण हैं, इच्छारहित हैं, निराकार हैं और प्रणवद्वारा

जाननेयोग्य हैं तथा जिनसे सम्पूर्ण विश्वकी उत्पत्ति और पालन होता है और फिर जिनमें उसका लय

हो जाता है उन प्रभुको मैं भजता हूँ। ॐ नमः शिवाय 6. अर्थ - जो न पृथ्वी हैं, न जल हैं, न अग्नि हैं, न वायु हैं और न आकाश हैं; न तन्द्रा हैं, न निद्रा हैं,

न ग्रीष्म हैं और न शीत हैं तथा जिनका न कोई देश है, न वेष है, उन मूर्तिहीन त्रिमूर्तिकी मैं स्तुति

करता हूँ। ॐ नमः शिवाय 7. अर्थ - जो अजन्मा हैं, नित्य हैं, कारणके भी कारण हैं, कल्याणस्वरूप हैं, एक हैं, प्रकाशकोंके भी

प्रकाशक हैं, अवस्थात्रयसे विलक्षण हैं, अज्ञानसे परे हैं, अनादि और अनन्त हैं, उन परमपावन

अद्वैतस्वरूपको मैं प्रणाम करता हूँ । ॐ नमः शिवाय 8. अर्थ - हे विश्वमूर्ते! हे विभो! आपको नमस्कार है, नमस्कार है। हे चिदानन्दमूर्ते! आपको नमस्कार

है, नमस्कार है। हे तप तथा योगसे प्राप्तव्य प्रभो! आपको नमस्कार है, नमस्कार है। हे वेदवेद्य भगवन्!

आपको नमस्कार है, नमस्कार है। ॐ नमः शिवाय 9. अर्थ - हे प्रभो! हे त्रिशूलपाणे! हे विभो! हे विश्वनाथ! हे महादेव! हे शम्भो! हे महेश्वर! हे त्रिनेत्र!

हे पार्वतीप्राणवल्लभ! हे शान्त! हे कामारे! हे त्रिपुरारे! तुम्हारे अतिरिक्त न कोई श्रेष्ठ है, न माननीय

है और न गणनीय है। ॐ नमः शिवाय 10. अर्थ - हे शम्भो! हे महेश्वर! हे करुणामय! हे त्रिशूलिन्! हे गौरीपते! पशुपते! हे पशुबन्धमोचन!

हे काशीश्वर! एक तुम्हीं करुणावश इस जगत्‌की उत्पत्ति, पालन और संहार करते हो; प्रभो! तुम ही

इसके एकमात्र स्वामी हो। ॐ नमः शिवाय 11. अर्थ - हे देव! हे शंकर! हे कन्दर्पदलन! हे शिव! हे विश्वनाथ! हे ईश्वर! हे हर! हे चराचरजगद्रूप प्रभो!

यह लिंगस्वरूप समस्त जगत् तुम्हींसे उत्पन्न होता है, तुम्हींमें स्थित रहता है और तुम्हींमें लय हो

जाता है। ॐ नमः शिवाय

Madhvi Madhukar Jha, a  new entrant, can be a dark horse in 

Maithili song segment, specifically in digital era .  Madhvi Jha looks 

quite promising  and her strength is her purity & melodious voice with 

right balance of emotions sung straight from  throat & heart.  She seems 

to be more of a singer. 

Madhvi madhukar Jha was born in Bhagalpur and presently stays in 

Noida . 


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