https://youtu.be/_xgtezuWl-c
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ायें
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
कना'अत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर
चमन और भी, आशियाँ और भी हैं
अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुगाँ और भी हैं
तू शाहीं है पर्वाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आस्माँ और भी हैं
इसी रोज़-ओ-शब में उलझ कर न रह जा
के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ और भी हैं
गए दिन की तन्हा था मैं अंजुमन में
यहाँ अब मेरे राज़दाँ और भी हैं
शब्दार्थ
तही = तनहा/खाली
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ायें
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
कना'अत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर
चमन और भी, आशियाँ और भी हैं
अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुगाँ और भी हैं
तू शाहीं है पर्वाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आस्माँ और भी हैं
इसी रोज़-ओ-शब में उलझ कर न रह जा
के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ और भी हैं
गए दिन की तन्हा था मैं अंजुमन में
यहाँ अब मेरे राज़दाँ और भी हैं
शब्दार्थ
तही = तनहा/खाली
फ़ज़ायें = माहौल/मौसम
कना'अत = खुश होना/संतुष्ट होना
आलम-ए-रंग-ओ-बू = खुशबु और रंग का जहाँ
नशेमन = घोसला
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुगाँ=रोने या शांत होने की जगह
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