https://youtu.be/ZY6Ls1_DRtA
मृगनयनी को यार नवल रसिया,
मृगनयनी को।।
बड़ी-बड़ी अँखिया नैंनन में सुरमा,
तेरी टेढ़ी चितवन मेरे मन बसिया ||1||
अतलस को याको लेंहगा सोहे,
झूमक सारी मेरो मन बसिया ||2||
छोटी अंगूरिन मुंदरी सोहे,
याके बीच आरसी मन बसिया. ||3||
याके बांह बड़ाे बाजूबन्द सोहे,
याके हियरे हार दिपत छतिया ||4||
रंगमहल में सेज बिछाई,
याके लाल पलंग पचरंग तकिया ||5||
पुरुषोत्तम प्रभु देख विवश भये,
सबे छोड़ ब्रज में बसिया.. ||6||
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