https://youtu.be/6-fmE04JSro
भरे जहाँ में कोई मेरा यार था ही नहीं
किसी नज़र को मेरा इंतज़ार था ही नहीं
ना ढूंढ़िए मेरी आँखों में रतजगों की थकन
ये दिल किसी के लिए बेक़रार था ही नहीं
सुना रहा हूं मुहब्बत की दास्तां उसको
मेरी वफ़ा पे जिसे ऐतबार था ही नहीं
क़तील कैसे हवाओं से मांगते ख़ुशबू
हमारी शाम में ज़िक्रे-बहार था ही नहीं
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