देखो साधु, सारी दुनिया पागल हो गई है। सच्ची बात कहो तो मारने को दौड़ते हैं लेकिन झूठ पर सबका विश्वास है। हिंदू राम का नाम लेता है और मुसलमान रहमान का और दोनों आपस में इस बात पर लड़ते-मरते हैं लेकिन सच्चाई से कोई भी परिचित नहीं। मुझे धर्म और उसके नियमों के मानने वाले बहुत मिले जो प्रातःकाल स्नान करते हैं और आत्मा को छोड़कर पत्थर की पूजा करते हैं। उनका ज्ञान झूठा है। दंभ धारण करके आसन लगाकर बैठते हैं और उनका मन अहंकार में डूब जाता है, जिसके कारण वह पत्थर और पीपल को पूजते हैं, माला और टोपी पहनकर तिलक और छापा लगाते हैं। उपदेश देते-देते वह आत्मा से बेख़बर हो गए हैं। जो गुरु माया के घमंड में घर-घर मंत्र सुनाते फिरते हैं, वे गुरु और उनके चेले सब डूब चुके हैं। उनके पास पछतावे के सिवा कुछ नहीं है। मैंने पीर और औलिया बहुत देखे हैं जो किताब और क़ुरान पढ़ते रहते हैं। वह क़ब्र दिखाकर लोगों को मुरीद बनाते हैं। ज़ाहिर है कि उन्होंने ख़ुदा को नहीं पहचाना है। हिंदू की दया और मुसलमानों की मुहब्बत, दोनों उनके घरों से निकल गई हैं। एक जानवर को ज़िबह करता है और दूसरा झटका करता है लेकिन आग दोनों के घर में लगी है। इस तरह वह हम पर तो हँसते हैं और ख़ुद सयाने कहलाते हैं। कबीर कहते हैं, ए साधु, तुम ही बताओ इन दोनों में कौन दीवाना है।
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