https://youtu.be/A4-JanXWnKI
हे मुरलीधर छलिया मोहन...
रचना : स्वामी राजेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज
गायन : सरोजिनी घोष
हे मुरलीधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे,
गम पहले से ही कम तो ना थे,
एक और मुसीबत ले बैठे,
हे मुरलिधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे ॥
दिल कहता है तुम सुन्दर हो,
आँखे कहती है दिखलाओ,
तुम मिलते नही हो आकर के,
हम कैसे कहे देखो ये बैठे,
हे मुरलिधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे ॥
हम भी तुमको दिल दे बैठे,
गम पहले से ही कम तो ना थे,
एक और मुसीबत ले बैठे,
हे मुरलिधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे ॥
दिल कहता है तुम सुन्दर हो,
आँखे कहती है दिखलाओ,
तुम मिलते नही हो आकर के,
हम कैसे कहे देखो ये बैठे,
हे मुरलिधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे ॥
महिमा सुनके हैरान है हम,
तुम मिल जाओ तो चैन मिले,
मन खोज के भी तुम्हे पाता नही,
तुम हो की उसी मन में बैठे,
हे मुरलिधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे ॥
राजेश्वर राजाराम तुम्ही,
प्रभु योगेशेवर घनश्याम तुम्ही,
धनुधारी बने कभी मुरली बजा,
यमुना तट निज जन में बैठे,
हे मुरलिधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे ॥
हे मुरलीधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे,
गम पहले से ही कम तो ना थे,
एक और मुसीबत ले बैठे,
हे मुरलिधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें