मंगलवार, 4 अगस्त 2020

यन्मायावशवर्ति विश्वमखिलं ब्रह्मादिदेवासुरा.../ संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसी दास / भावानुवाद

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यन्मायावशवर्ति विश्वमखिलं ब्रह्मादिदेवासुरा
यत्सत्त्वादमृषैव भाति सकलं रज्जौ यथाहेर्भ्रमः।
यत्पादपल्लवमेकमेव हि भवाम्भोधेस्तितीर्षावतां
वन्देऽहं तमशेषकारणपरं रामाख्यमीशं हरिम्‌॥6॥
॥ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मंगलाचरण श्लोक 6॥
भावानुवाद :
अखिल विश्व है वशीभूत जिनकी माया के, 
वश में हैं ब्रह्मादि देवगण सभी सुरासुर  
सच सा भासित मृषा जगत जिनकी सत्ता से, 
जैसे भ्रमवश सर्प दिखाई दे रस्सी में।  
केवल जिनके चरण कमल भव-अम्बुधि तारें,
राम नाम से ख्यात सभी कारण के कारण, 
उन्हीं श्री हरि का वन्दन, जो ईश हमारे।। 
-अरुण मिश्र 

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