संगीत : श्री केवल कुमार
गायन : श्री केवल कुमार एवं सुश्री पद्मा गिडवानी
श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन,
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख-
कर कंज, पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि,
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तड़ित रुचि शुचि,
नौमि जनक सुतावरं ॥२॥
भज दीनबन्धु दिनेश दानव-
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल-
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक-
चारु, उदार अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर,
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर,
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु,
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख-
कर कंज, पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि,
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तड़ित रुचि शुचि,
नौमि जनक सुतावरं ॥२॥
भज दीनबन्धु दिनेश दानव-
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल-
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक-
चारु, उदार अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर,
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर,
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु,
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
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