बुधवार, 12 अगस्त 2020

मधुराष्टक / श्रीमद्वल्लभाचार्य कृत / पण्डित जसराज / भावानुवाद

मधुराष्टक ( भावानुवाद ) 

-अरुण मिश्र. 

अधर  मधुर   है,   हास्य  मधुर  है,  वदन   मधुर  है,  नयन   मधुर है।
हृदय  मधुर  है,  गमन  मधुर  है,  मधुराधिपति  का  अखिल मधुर है॥

चरित   मधुर  है,  वचन   मधुर  है,  वलय  मधुर  है,  वसन  मधुर  है।
चाल मधुर है,   भ्रमण  मधुर है,  मधुराधिपति   का  अखिल  मधुर है॥

वेणु  मधुर,   पद-रेणु  मधुर,   शुभ-पाणि  मधुर,  मृदु-चरण  मधुर है।
नृत्य   मधुर  है,  सख्य  मधुर  है, मधुराधिपति  का  अखिल मधुर है॥

भोज्य  मधुर  है,   पान  मधुर   है,   गीत   मधुर  है,   शयन  मधुर  है।
तिलक  मधुर है,  रूप  मधुर  है,  मधुराधिपति   का  अखिल  मधुर है॥

कार्य  मधुर   है,   तरण  मधुर  है,   हरण   मधुर,   स्मरण   मधुर   है।
कथन  मधुर है,  शमन  मधुर  है,  मधुराधिपति  का  अखिल मधुर है॥

शिखा  मधुर   है,    हार  मधुर   है,    यमुना  मधुर,    तरंग   मधुर  है।
सलिल मधुर है,  कमल मधुर है,  मधुराधिपति  का  अखिल  मधुर है॥

लीला   मधुर,    गोपियां   मधुरा,    योग  मधुर   है,    भोग  मधुर   है।
मधुर  प्रेक्षण,   मधुर  आचरण,   मधुराधिपति   का  अखिल  मधुर है॥

गौयें   मधुर,   गोप   सब  मधुरा,   मधुर   लकुटिया,   सृष्टि   मधुर  है।
दलन मधुर, प्रतिफलन मधुर अति, मधुराधिपति का अखिल मधुर है॥
                                                              *
                                ( इति श्रीमद वल्लभाचार्य कृत मधुराष्टक संपूर्ण।)
मूल संस्कृत पाठ :

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