https://youtu.be/QJhqCQ2c0uU
"देवदत्तामिमां वीणां " - जब नारद जी ने व्यास जी को
बताया नारायण प्रभु के द्वारा प्रदान की गयी
वीणा का सुन्दर वर्णन।
श्रीमद्भागवतपुराणम् / स्कन्ध १ /अध्याय ६ / श्लोक ३३
मूर्च्छयित्वा हरिकथां गायमानश्चराम्यहम् ॥ ३३ ॥
भगवान की दी हुई इस स्वर ब्रम्ह से विभूषित
वीणा पर तान छेड़कर मैं उनकी लीलाओं का
गान करता हुआ सारे संसार में विचरता हूँ।
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